गुरुवार, 27 मई 2010

बैस का बयान, बीजेपी में बगावत

तपेश जैन
रायपुर। रायपुर लोकसभा क्षेत्र से छह बार जीतने वाले भारतीय जनता पार्टी के सांसद रमेश बैस सुलझे हुए राजनेता माने जाते हैं और उनसे यह उम्मीद की जाती है कि वे पार्टी के अनुशासन को समझते होगें लेकिन पिछले कुछ समय से वे लगातार अपने बयानों से यह प्रदर्शित कर रहे हैं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को वे अब बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं है इसके लिए उन्हें काडर और अनुशासित पार्टी के नियमों का उल्लघंन ही क्यों ना करना पड़े। राजनीति के जानकार जानते हैं कि बीजेपी में संगठन से असहमति विरोध और विरोध को बागवत समझा जाता है। सांसद बैस के बयान को भी बीजेपी में बगावत समझा जा रहा है। उनके हाल ही में पत्रकार वार्ता में कही गई बातें यह स्पष्ट कर देती है कि वे अब आर-पार की इच्छा रखते हैं।
गौरतलब है कि यह कोई पहला अवसर नहीं है जब श्री बैस ने सरकार के खिलाफ बयानबाजी की हो। गाहे-बगाहे वे मुख्यमंत्री को यह अहसास दिलाने का प्रयास कर चुके है कि वे छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ नेता है और वे ही मुख्यमंत्री पद के योग्य है। सीएम पद की आकांक्षा में उन्होंने हाल ही में प्रदेश संगठन अध्यक्ष पद की मांग भी की थी। जिसकी सुनवाई न तो प्रदेश संगठन ने की और ना ही केन्द्रीय स्तर पर विचार हुआ। मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने हर मौके पर चतुराई से उनके बयानों का जवाब देकर निरूत्तर ही किया है। श्री बैस के आरोपों का भी उन्होंने नई दिल्ली में उत्तर दिया कि सबकी सुनता हूं और कैसे उन्होंने कहा यह मिलकर पूछूंगा।
यहां याद दिलाना लाजमी होगा कि तीन साल पूर्व तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष शिवप्रताप सिंह ने भी इसी तरह का आरोप लगाया था कि सरकार के मंत्री विधायकों तक की नहीं सुनते है। तब मामला ये था कि श्री सिंह सरगुजा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष थे और अध्यक्ष मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह की अनुपस्थिति में आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता मंत्री रामविचार नेताम ने कर दी तो श्री सिंह इस बात को गांठ बांधकर बिफर पड़े थे? पार्टी फोरम की जगह शिवप्रताप सिंह ने मीडिया का सहारा लिया और मंत्रियों को सफेद हाथी तक कह दिया। बवाल तो मचना ही था क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष ने सार्वजनिक रूप से सरकार की साख पर प्रहार किया था। संगठन ने श्री सिंह की इस गुस्ताखी पर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था। श्री बैस ने फिर वहीं बात दुहराई है। लेकिन वे प्रदेश अध्यक्ष नहीं है। संगठन ने उनकी अध्यक्ष बनने की मांग का इरादा भांप लिया था सो इतने तरीके से उन्हें हाशिए पर ढकेल दिया गया कि वे फुंफकार भी नहीें सके।
श्री बैस राजनीति के माहिर खिलाड़ी समझे जाते हैं लेकिन वे गलतियां अजीत जोगी की तरह कर रहे हैं। श्री जोगी ने पिछड़े वर्ग का राग अलापा तो आदिवासी वर्ग उनसे दूर हो गया और कांग्रेस का गढ़ छत्तीसगढ़ पार्टी के हाथों से दूर हो गया। श्री बैस भी लगातार इस बात को उछार रहे हैें कि प्रदेश में आदिवासी से यादा पिछड़े वर्ग के लोग है और पिछड़े वर्ग के नेताओं को सत्ता में यादा हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। श्री बैस के इस राजनीति से आदिवासी नेता खासे नाराज हैं और उनके खिलाफ खड़े हो रहे है। मुख्यमंत्री के विरुध्द बयानबाजी के समर्थन में एक भी आदिवासी नेता यहां तक कि नंदकुमार साय भी श्री बैस के साथ नहीं है।
सत्ता संगठन और आदिवासी नेताओं के खिलाफ खड़े श्री बैस अपने ही जाल में फंस गए है। राजनीति के जानकार उनसे ये आशा नहीं रखते थे कि एक साथ वे सबके खिलाफ मोर्चा खोलकर खड़े हो जाएंगे। याद रहे कि संगठन के नेता ऐसे विरोधों को किस तरह दरकिनार कर नेता को हाशिए में डाल देते हैं खुद नेता को भी भनक नहीं लगती। श्री बैस प्रदेश कार्यकारिणी में कहां होगें ये तो भविष्य बतायेगा फिलहाल उनके बयानों को बासी कढ़ी में उबाल ही माना जा रहा है जो उनकी लोकप्रियता के गिरते ग्राफ को ही बताता है।

रविवार, 23 मई 2010

चोचलेबाजी से कैसे होगा जल संरक्षण

पानी की लूट पर सरकार की है छूट
मीटर कब लगेगा पानी का, टयूबवेल खनन पर लगे टैक्स
तपेश जैन
रायपुर। कहने को कहा जा सकता है कि देर आयद दुरूस्त आयद। मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को छह साल बाद याद आया कि जल संरक्षण के लिए अभियान चलाया जा सकता है। समाज के चिंतक और लोग बरसों से राग अलाप रहे है कि पानी का बचाव नहीं किया गया तो आने वाले समय में त्राहि-त्राहि मच जायेगी। कई मीडिया समूह मसलन दैनिक भास्कर, नवभारत जैसे संस्थान लगातार जन-जागरण कर रहे हैं। समाचार पत्रों में जल सरंक्षण के उपायों पर निरंतर ध्यान आकर्षित करवाया जा रहा है। अब सरकार की कुंभकर्णी नींद खुली है लेकिन इसके बाद भी हालात बदलेंगे उम्मीद नहीं है क्योंकि सरकार के मंत्री और अफसरों से ये मंगल कामना नहीं की जा सकती की वे तपती गर्मी में कुछ बूंद पसीने की बहा सकते हैं। सरकारी कार्यक्रमों का ढकोसला लोग जानते हैं। घंटेभर के कार्यक्रम के लिए लंबे समय तक इंतजार और फोटोलॉजी के बाद न तो अफसरों को फिक्र रहेगी न ही मंत्री इसकी पूछ परख करेगा कि क्या हुआ तालाब सफाई का?
सबको याद है बूढ़ातालाब और कंकाली तालाब सफाई अभियान का नतीजा। जोर-शोर और कई नारों के साथ शुरु हुए कार्यक्रम को जबर्दस्त प्रतिसाद मिला था और जनता की भागीदारी भी भारी थी लेकिन टंटपूजिए नेताओं की करतूतों ने किए कराए पर पानी फेर दिया। राजनीति में मन का मैल इतना बढ़ चुका है कि अच्छा अभियान भी प्रदूषित हो जाता है। सो मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के इस अभियान की उनके ही कतिपय मंत्री खिल्ली उड़ा रहे हैं कि काम ना बूता, लबरा करे झूठा। राय में जल संसाधन विभाग के मंत्री की सुस्ती का यह आलम है कि वे न तो कभी मंत्रालय में नजर आते हैं ना ही कार्यक्रमों में। पिछले छह सालों में इस विभाग का कामकाज सर्वाधिक पिछड़ा हुआ है। सिंचाई क्षमता तीस प्रतिशत तक सीमित हैं जो कांग्रेस के मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल में थी। सत्ता प्रतिशत कृषि क्षेत्र आज भी बारिश और भू-जल पर आश्रित है। मुफ्त बिजली कनेक्शन से बड़े किसानों ने जमीन के पानी का इतना दुरुपयोग कर दिया है कि वाटर लेबल रसातल पर पहुंच गया है।
पानी की लूट पर सरकार की छूट देखनी है तो रायपुर की होटलों, काम्पलेक्सों और बंगलों में देखी जा सकती है। मोटर के जरिए बड़ी-बड़ी टंकियों में लगातार पानी भरकर उसका जमकर दुरुपयोग हो रहा है। इस पर रोक लगाने के लिए पानी के मीटर को लगाना आवश्यक हो गया है ताकि पानी का दुरूपयोग करने वालों पर खर्च का भार पड़े। गरीबों के पानी पर अमीरों की लूट पर अंकुश लगाने निजी बोरवेल खनन पर भारी टैक्स वसूला जाना चाहिए। पानी के यादा खर्च करने वालों को यादा टैक्स देना ही चाहिए। जल संरक्षण के लिए सरकार को सबसे पहले बड़े काम्पलेक्स, होटलों, बंगलों और सरकारी दफ्तरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य किया जाना होगा। छत्तीस सौ वर्ग फीट से यादा के मकानों में वाटर हार्वेस्टिंग के साथ ही दस एकड़ से यादा खेती जमीन के मालिकों को आधा एकड़ में तालाब खुदाई के साथ ही बड़े उद्योगों को भी तालाब निर्माण की अनिवार्यता की जानी चाहिए। पर्यावरणविद लंबे समय से उपरोक्त सुझाव दे रहे हैं लेकिन सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगती रही है।
बहरहाल मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने विलंब से ही सही लेकिन जल सरंक्षण के लिए प्रयास तो शुरू किया। वे छत्तीसगढ़ के सेलीब्रिटी है और उनके कहने से ही बहुत फर्क पड़ता है। जरूरत इस बात की है कि वे गंभीरता के साथ निरंतर इस विषय पर कार्य करते रहे। तालाबों के संरक्षण के साथ ही नदी किनारे वृक्षारोपण आवश्यक है। नदियों को प्रदूषण को बचाने के लिए रीवर और सीवर का अलग करना होगा। मुख्यमंत्री चोचलेबाजी से हटकर इस अभियान को जारी रखते हैं तो उन्हें साधुवाद वरना उन्हें आलोचनाएं सहनी पड़ेंगी।

रविवार, 9 मई 2010

अफसरों में बढ़ा भ्रष्टाचार, छत्तीसगढ़ हुआ शर्मसार

केन्द्रीय सचिव ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को भ्रष्टाचार रोकने पत्र लिखा
तपेश जैन

भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बाबूलाल अग्रवाल के आवास एवं रिश्तेदारों के ठिकानों पर करोड़ो रुपए की अवैध संपत्ति का खुलासा कर आयकर विभाग ने अफसरशाही की भ्रष्ट करतूतों को उजागर कर दिया है। हाल ही में मुंगेली जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जे.आर. भगत के आवास पर राय आर्थिक अपराध ब्यूरो के छापे में करोड़ों रुपए की अवैध संपत्ति पता चली है। छत्तीसगढ़ में कई अधिकारियों के खिलाफ जांच जारी है। घोटाले और भ्रष्टाचार के मामलों से पूरे देश में छत्तीसगढ़ की छवि लगातार खराब हो रही है। इस संदर्भ में केन्द्रीय मंत्रीमंडल सचिव के.एम. चन्द्रशेखर द्वारा राय के मुख्य सचिव पी. जॉय उम्मेन को डी.ओ. पत्र लिखा है जिसमें सिविल सवर्ेंट के चयन के मापदंडों का हवाला देते हुए उन्हें नागरिकों के प्रति जवाबदेह और पारदर्शिता से कार्य करने की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है। इस अर्धशासकीय पत्र में भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किए जाने के साथ ही इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के साथ ही विजिलेंस को मजबूत बनाने को कहा गया है। वरिष्ठ दूसरों के लिए आदर्श बन सके इसके लिए बेहतर कार्य निष्पादन के साथ ही अच्छी सरकार की ओर ध्यान दिलाया गया है।
केन्द्रीय मंत्रीमंडल सचिव के इस पत्र से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि राय के अफसरों के भ्रष्ट कारनामों की गूंज नई दिल्ली तक पहुंच गई है। करोड़ों रुपए की संपत्ति अधिकारियों के पास कैसे आई ये जांच का विषय है लेकिन आम नागरिकों में राशनकार्ड, बिजली कनेक्शन, जाति, निवास एवं आय प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए जो रिश्वत मजबूरी में देनी पड़ रही है उस पर नेता भी जुबान बंद किए हुए हैं।
अफसरों और नेताओं की जुगलबंदी से फैलते भ्रष्टाचार ने पूरे लोकतंत्र पर ही सवालिया निशान लगा दिया है। पार्षद चुनाव में 25 लाख रुपए तक खर्च करने वाले लोग चुने जाने के बाद राशन और मिट्टी तेल की कालाबाजारी में लिप्त नहीं होंगे तो कैसे भरपाई कर पायेंगे। जमीन के दलाल और अवैध शराब के कारोबारी राजनीति की आड़ में जो गुल खिला रहे हैं उससे पूरी व्यवस्था ही चरमरा गई है। ऐसे नेताओं के बीच अफसरों को धन लिप्सा से जनता बेहद हलाकान है। बहरहाल छत्तीसगढ़ अफसरों के लिए मुफीद जगह बन गया है जहां वे आसानी से भ्रष्ट करतूतों को अंजाम दे सकते हैं। केन्द्रीय मंत्रिमंडल सचिव का पत्र रद्दी की टोकरी में फेंक दिया गया है। ऐसे पत्रों की परवाह कौन करता है?

शनिवार, 8 मई 2010

पता नहीं बेटा!


बेटा- दिग्विजय सिंह और डॉ. रमन सिंह में युध्द होने लगा है।
पिताजी- हां बेटा, अभी यह युध्द केवल लेखनी में चल रही है।
बेटा- इस लड़ाई से क्या आम लोगों का भला होगा?
पिता- पता नहीं बेटा!
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बेटा- छत्तीसगढ़ में इन दिनो नेताओं के जन्मदिन जोर-शोर से मनाने का चलन बढ़ता जा रहा है।
पिताजी- हां बेटा अखबारों में भी खूब विज्ञापन छप रहे हैं।
बेटा- यह कुर्सी की ताकत का असर है या भ्रष्ट लोगों का जमावाड़ा है?
पिताजी- पता नहीं बेटा!

अवैध शराब से डुण्डेरावासी त्रस्त

डोंगरगढ। समीपस्थ ग्राम टुण्डेरा में अवैध शराब बिक्री से गांव की शांति भंग हो रही है। अवैध शराब बेचने वालों द्वारा खुलेआम गुण्डागर्दी की जा रही है और पुलिस भी शिकायत पर कार्रवाई नहीं करती जिससे कभी भी गंभीर घटना हो सकती है।

बजाज डिस्कवर माइलेज कान्टेस्ट सम्पन्न

नवापारा-राजिम। विगत दिनों ए.जी. आटो केयर द्वारा पर्यावरण अनुकूल वाहन प्रतियोगिता के अंतर्गत बजाज डिस्कवर माइलेज कान्टेस्ट का आयोजन किया गया। जिसमें नगर एवं आसपास के अंचल के लोगों ने काफी उत्साह से भाग लिया। जिसमें लगभग पचपन प्रतियोगियों ने नवापारा से हसदा तक बजाज डिस्कवर का चालन किया। जिसमें बेस्ट माइलेज एवं पर्यावरण अनुकूल वाहन चालकों में क्रमश: प्रथम नवापार के ढालचंद साहू का एवरेज 119 कि.मी. पीआईएल का एवं द्वितीय नरेन्द्र साहू चिपरीडीह का एवरेज 114 कि.मी. पीआईएल तृतीय कैलाश टाण्डे कौंदकेरा का एवरेज 111 कि.मी. रहा। इसके साथ ही प्रदूषण मुक्त नगर को हमारा के संदेश के साथ सभी बजाज वाहनों नि:शुल्क जांच एवं सलाह दी गई जिससे नगर के लोगों मे उत्साह व वातावरण देखा गया।

ग्राम बोरसी की समस्या

फिंगेश्वर। ग्राम बोरसी के सरपंच ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में बताया कि गांव में वैसे तो पेयजल की समस्या है। वहीं गलियों का कांक्रीटीकरण और यहां के पढ़े लिखे युवकों को रोजगार उपलब्ध कराने की मांग मंत्री से की गई है।

धमनी पंचायत की मांग

फिंगेश्वर। धमनी ग्राम पंचायत की सरपंच चन्द्रकला गोयल ने राय शासन से ग्राम पंचायत के विकास की मांग की है। सरपंच ने कहा कि कांक्रीटीकरण, तालाबों का पचरीकरण, पुलिया निर्माण, मुक्तिधाम, डामरीकरण व ग्राम पंचायत भवन की मांग ग्राम सुराज से की गई है।

बारुला पंचायत की मांग

फिंगेश्वर। ग्राम पंचायत की बैठक के दौरान पंचायत प्रतिनिधियों एवं ग्राम के प्रमुखों ने मूलभूत समस्याओं से अवगत कराया तथा प्रेस के माध्यम से ध्यानाकर्षण हेतु दिया जा रहा है। क्योंकि यह पंचायत जिला पंचायत रायपुर अंतिम छोर के साथ वनांचल से घिरा हुआ है जिसके यहां कई तरह की समस्याओं का अंबारहै तथा समाधान हेतु प्रस्तुत है निम्न समस्या है। गोठानपारा में विद्युत पोल में तीन तार आर ट्रांसफार्मर की समस्या। ग्राम पंचायत भवन का निर्माण एवं सोसायटी भवन की समस्या। कांजी हाउस भवन का समस्या। पेयजल हेतु नल जल योजना हेतु पानी टंकी। स्कूल आहता निर्माण एवं उपस्वास्थ्य केन्द्र आहता निर्माण जरूरी है।

बेलर की समस्या

फिंगेश्वर। 29 अप्रैल को बुलंद छत्तीसगढ़ के द्वारा ग्राम पंचायत की बैठक के दौरान पंचायत प्रति निधियों एवं ग्राम के प्रमुखों मूलभूत समस्या से अवगत कराया गया तथा इस प्रेस के माध्यम से ध्यानाकर्षण हेतु दिया जा रहा है। क्योंकि यहां पंचायत जिला रायपुर का अंतिम छोर के साथ वनांचल से घिरा हुआ है। जिसके चलते यहां कई तरह की समस्याओं का अंबार है तथा समस्याओं का समाधान हेतु प्रस्तुत समस्या है। 1. हायर सेकेण्डरी स्कूल का निर्माण। 2. ग्राम पंचायत भवन का निर्माण, 3. हाईस्कूल का अहाता निर्माण, 4. पेयजल का समस्या, 5. उपस्वस्थ केन्द्र भवन को जो लो.नि.वि. बनवाया है। वह गुणवत्ता में कमी के कारणरत रहा है।

मंगलवार, 4 मई 2010

शिक्षा मंत्री के आदेश की धज्जियाँ

शासकीय हाईस्कूल फुण्डहर वर्तमान प्राचार्य के चलते अव्यवस्थाओं एवं भर्राशाही की दल-दल में फंस कर रह गया है। स्कूल शिक्षा मंत्री के स्पष्ट आदेश के बाद भी यहां के कर्मचारी एवं शिक्षकों को वेतन कभी भी समय में नहीं मिल पा रहा है। माह की प्रत्येक 20-25 तारीख तक वेतन मिलना इस विद्यालय की पहचान बन गया है। प्राचार्य पर शिक्षा मंत्री की इस घोषणा का कोई असर नहीं पड़ा, यहां आज भी वेतन समय से न मिलने का संकट कर्मचारी झेल रहे हैं। इस प्रकार मंत्री एवं उच्च कार्यालयों के आदेशों का पालन न करना प्राचार्य टी.आर. वर्मा की खूबी बन गया है।
ज्ञात हो कि शासकीय हाईस्कूल फुण्डहर में पूरे साल दो शिक्षकों को कार्यालय में बिठाकर वेतन भुगतान किया गया है। इनमें एक व्याख्याता एवं एक शिक्षक को मात्र दो-दो काल पीरियड देकर उन्हें शिक्षाकीय कार्य से पृथक रखा गया है। वही कुछ शिक्षक, व्याख्याताओं को चार-चार पीरियड लगातार देकर अध्यापन कार्य कराया जा रहा है। इस प्रकार प्राचार्य की भेदभाव पूर्णनीति स्पष्ट प्रतीत होती है। शाला में खुलेआम नियमों की धाियां उड़ाई जा रही है। हाईस्कूल में पदस्थ प्राचार्य टी.आर. वर्मा ने एक व्याख्याता का वेतन छुट्टी स्वीकृत हो जाने के बाद भी भुगतान नहीं किया है। सूत्रों से पता चला है कि अशोक पाण्डेय व्याख्याता का माह अगस्त से लेकर जनवरी तक पांच माह का वेतन आहरित नहीं किया गया है। चार-पांच माह का वेतन न मिलने से यह व्याख्याता आर्थिक तंगी से जूझ रहे है। पता चला है कि यहां कार्यरत कुछ अन्य शिक्षक-व्याख्याता के कुछ और भुगतनों को रोककर रखा गया है। प्राचार्य से बार-बार पत्र देकर निवेदन करने के बाद भी वेतन जैसे भुगतनों को रोककर रखा गया है। प्राचार्य का यह कृत्य अपने मातहतों को प्रताड़ित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर अपने फायदे के लिए विद्यालय में वर्षों से जमा राशि को उक्त प्राचार्य ने खाली कर दिया है। इस प्रकार उन्होंने कमीशनखोरी का धंधा चलाकर रखा है।
सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि इस विद्यालय में पढ रहे छात्र-छात्राओं से हजारों रुपए शुल्क के रुप में वसूले गए परन्तु आज तक छात्र-छात्राओं से ली गई राशि की रसीदें उन्हें प्रदान नहीं की गई है। इससे एक बड़े आर्थिक गोल-माल की आशंका से मना नहीं किया जा सकता है। विद्यालय में कितने विद्यार्थी पढ़ रहे है तथा कितने विद्यार्थियों से किस हिसाब से राशि वसूल की गई है इसका विधिवत लेखा जोखा नहीं रखा जा रहा है। आशंका तो यहां तक व्यक्त की जा रही है कि छात्रों से अधिक राशि वसूलकर विद्यालय के खातों में उतनी राशि जमा नहीं की जाती है। यह सब हेरा-फेरी एवं आर्थिक अनियमितता का जीता जागता उदाहरण है।

पूर्व सरपंच के द्वारा व्यापक भ्रष्टाचार कार्यवाही का पता नहीं

दुर्ग-कवर्धा डायरी
बेमेतरा। ग्राम पंचायत बांधी के पूर्व सरपंच बिहारीलाल मंडावी के खिलाफ व्यापक भ्रष्टाचार का मामला प्रकाश में आया है। इन्होंने जो भ्रष्टाचार किया है उसका एक छोटा सा नमूना प्रस्तुत है पूर्व में अपने कार्यकाल में अंतिम समय में तालाब में मछली पालन का जो ठेका दिया गया था उसे इनके द्वारा पांच वर्षों के लिए पंचराम ध्रुर्वे, दशरु साहू तथा लक्ष्मीकांत को तालाब में मछली पालन का ठेका बगैर किसी ग्रामवासी और पंच को पूछे बगैर दे दिया गया है। ग्राम के कोटवार का कहना है कि आज तक मैंने मत्स्य पालन संबंधित कागज में हस्ताक्षर नहीं किया है। किन्तु विभागीय अधिकारियों द्वारा ग्राम के कोटवार का हस्ताक्षर करा लिया गया है। ग्रामवासियों का कहना है कि इसमें विभागीय अधिकारी व तालाब ठेकेदारों की मिली भगत से सारा खेल खेल गया है। ग्राम सुराज में इन सभी चीजों की फाइल तैयार करके संबंधित लोगों की शिकायत की गई लेकिन सरकारी उदासीनता के चलते इन पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
धर्मनगरी में हो रहा है देह व्यापार
धर्मनगरी कवर्धा यहां मंदिरों की नगरी है वहां देह व्यापार का खुला कारोबार का होना चिंता का विषय है। कवर्धा के ही सतनामी पारा में देह व्यापार का एक बड़ा रैकेट होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। ग्राम धमकी व लाखाटोला दो ऐसे गांव है जहां देर व्यापार खुलेआम चल रहा है लेकिन अभी तक प्रशासनिक कार्यवाही नहीं हुई है तो छोटी-मोटी कार्यवाही करके प्रशासन अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर रहे है।

भ्रष्टाचार रूपी मलाई में डुबे हुए थे पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के हाथ

कवर्धा। यू तो भ्रष्टाचार बहुत हुए लेकिन पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के कार्यकाल में एक प्रकार से भ्रष्टाचार की बाढ़ सी आ गई थी। सरकार की हद एक योजना के क्रियान्वयन में इन महोदय ने जमकर भ्रष्टाचार किया इनके पहले के कार्यकाल में भ्रष्टाचार नहीं हुआ ऐसा बात नहीं है लेकिन इनके कार्यकाल में तो भ्रष्टाचार रुपी राक्षस अपना फन फैलाना शुरु कर दिया हर विभाग व हर योजना में क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार खुलकर हुआ है ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में करोड़ों की कमाई इनके द्वारा किया गया राजीव गांधी शिक्षा मिशन की योजना में इन साहब ने चांदी काटा शिक्षा कर्मी, पंचायत कर्मी भर्ती प्रक्रिया में इन साहब के द्वारा लाखों रुपए की राशि का फर्जीवाड़ा सभी के सामने है, पता नहीं इतना घोटाला होने के बाद जनता ने फिर से इनको चुनाव जीता कैसे दिया, इन साहब की सम्पत्ति की यदि जांच की जाए तो ये और इनके रिश्तेदारों और इनके सिपहसलाहकारों के पास करोड़ों रुपए की सम्पत्ति सामने आ सकती है? इन साहब को न जाने किसा वरदहस्त प्राप्त है जो ये इस प्रकार निष्फ्रिक होकर पूरे पांच वर्षों तक भ्रष्टाचार रुपी राक्षस को पैदा करके उन्हें जवानी की दहलीज तक पहुंचाया है इनके द्वारा कराए गए कार्यों की जांच की जाए तो पता चल जाएगा कि इन साहब को किनका वरदहस्त प्राप्त था। मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के करीब होने के कारण शायद इन्हाेंने इस प्रकार बेखौफ होकर हर फर्जीवाड़ा किया है और इन साहब को इस भ्रष्टाचार को करने में पूरा संगठन मदद कर रहा था, जिला पंचायत के अधिकारी भी इनके इस कार्य में पूर्ण सहयोग कर रहे थे और अपने तन मन के साथ इनके कार्यों को अंजाम दे रहे थे। जिला पंचायत के इन पूर्व अध्यक्ष के भ्रष्टाचार को ये भोली भाली जनता नहीं समझ पाई और पुन: इनको चुनाव जीता दिया, भोली भाली जनता को विश्वास में लेकर उनके साथ व्यापक रुप से विश्वाघात का नंगा खेल इन साहब के द्वारा खेला गया है। शायद प्रशासन में बैठे आला अधिकारी अंधे हो चुके है जो इन भ्रष्टाचारो की जांच के लिए अभी तक किसी भी प्रकार की कमेटी का गठन नहीं किया गया है या शायद किसी बड़े नेता के दबाव के चलते इन पर प्रशासन भी अपना शिकंजा कसने से डर रही है। मजेदार बात यह है कि पूर्व में जिला पंचायत में भाजपा के अध्यक्ष थे और अब वर्तमान में कांग्रेस के अध्यक्ष है कांग्रेस यदि दबाव डालकर इनके पूर्व के कार्यों की जांच कराए तो सारा मामला प्रकाश में आ सकता है लेकिन यदि जिला पंचायत के वर्तमान अध्यक्ष को नजराना पेश किया और उस नजराने को उन्होंने स्वीकार कर लिया तो पूरा मामला पूरा दब सकता है? क्योंकि ये तो कलयुग हो यहां कुछ भी हो सकता है। भगवान राम ने पहले ही कह दिया है कि कलयुग में कुछ भी संभव है। फलस्वरुप व्यापक भ्रष्टाचार की जड़ तो पंचायती राज ही है और इनके मेन रोल में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष है जो अभी भी अपना अध्यक्ष की ठाठ बाठ छोड़े नहीं है।

गुरुवार, 29 अप्रैल 2010

सरकार की आंख खोलने में लगे हैं विहिप

सरकार की आंख खोलने में लगे हैं विहिप
शिक्षण व धार्मिक जगहों पर शराब दुकान गलत
गरीबों के लिए सर्वसुविधायुक्त चिकित्सालय सहित विभिन्न सामाजिक कार्यों का बीड़ा उठा रहे विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष रमेश मोदी ने कहा कि वे चिकित्सालय के कार्यक्रम में सरकार के दर्जनभर नेताओं को इसलिए बुला रहे हैं ताकि उनकी आंख खुले कि बगैर सरकारी सहयोग के इतना बड़ा पुण्य का कार्य कैसे हो रहा है। उन्होंने इस बात का भी विरोध किया और कहा कि शिक्षण संस्थाओं और धार्मिक स्थलों के पास शराब दुकानें नहीं खोली जानी चाहिए।
श्री मोदी विश्व हिन्दू परिषद एवं श्री शबरी सेवा संस्थानम् द्वारा संचालित नर्मदादेवी खेतान चिकित्सालय में सुविधा बढ़ाने और साहित्य सदन की स्थापना पर पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। इस दौरान आर.के. केडिया, किशोर गांधी, डॉ. ओ.पी. अग्रवाल, अशोक मालू भी उपस्थित थे।
उन्होंने कहा कि आज समाज को दिशा देने की जरूरत है हिन्दुओं को एका के बिना देश का विकास नहीं हो सकता। लेकिन हिन्दू एक नहीं हो पा रहे हैं और जिस दिन जनता एक हो गई सरकार को भी नियमानुसार काम करने पड़ेंगे। श्री मोदी ने कहा कि उनकी संस्था बगैर सरकारी सहयोग के चिकित्सालय में गरीबों के लिए सुविधाएं जुटा रही है और रोज लगभग दो सौ लोग रोज चिकित्सा के लिए आ रहे हैं। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि सरकार के इतने लोगों को आंख खोलने बुला रहे हैं ताकि उन्हें भी लगे कि बगैर सरकारी मदद के अच्छा कार्य हो रहा है।
उन्होंने शराब दुकानों को लेकर चल रहे आंदोलन पर कहा कि जनआंदोलन को सरकार को समझना चाहिए और विहिप जनआंदोलन का सम्मान करती है तथा शैक्षणिक व धार्मिक संस्थानों के आसपास शराब दुकानों का विरोध करती है। सरकार में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जहां है वहीं ठीक है नहीं तो या तो वे परेशान रहते या सरकार परेशान होती।

बुधवार, 28 अप्रैल 2010

पता नहीं बेटा


बेटा- भाजपा सरकार को हिन्दू वादी सरकार माना जाता है।
पिताजी- संघ के कमान से खबर तो यही है।
बेटा- फिर राजधानी में सिर्फ मंदिर ही क्यों तोड़े जा रहे हैं या आवारा पशुओं के नाम पर सिर्फ गाय-बैल ही क्यों पकड़े जा रहे हैं।
पिताजी- पता नहीं बेटा!
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बेटा- सरकार ने निगम-मंडल में अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया है।
पिताजी- हां बेटा खबर तो नई सरकार के गठन के दिन से ही सुन रहे हैं।
बेटा- क्या निगम-मंडल अध्यक्ष के रहते भ्रष्टाचार में बढाेत्तरी नहीं होती।पिताजी- पता नहीं बेटा!

सोमवार, 26 अप्रैल 2010

कब सस्पेंड होंगे भ्रष्टाचारी, जनता हलाकान

तपेश जैन
रायपुर। प्रदेशव्यापी ग्राम सुराज अभियान के तहत मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह से बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार की शिकायत की गई है। गांव-गांव में शासकीय कर्मी आय, निवास प्रमाण पत्रों के लिए रुपए की मांग करते है। राशन कार्डों के लिए घूस मांगी जाती है। राशन माफिया फर्जी कार्डों के जरिए सस्ते अनाज की हेराफेरी कर रहे है तो योजनाओं का लाभ देने में भी भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है। डा. रमन सिंह ने कांकेर के सेलेगांव में ग्रामीणों की शिकायत पर ऐसे भ्रष्ट करतूतों वाले कर्मचारियों को सस्पेंड करने का ऐलान किया है। इस घोषणा पर अगर एक प्रतिशत भी अमल किया गया तो प्रदेश की जनता बेहद राहत महसूस करेगी।
गौरतलब है कि शासन-प्रशासन में भ्रष्टाचार के मामलों में जबर्दस्त बढ़ोत्तरी हुई है। हर विभाग में करप्शन के मामले है। सबसे यादा शिक्षा विभाग में गड़बड़ियां हो रही है। पिछले दो महिनों में इस विभाग में किताब खरीदी उपकरण खरीदी, नियुक्ति सहित कई मामलों में भारी अनियमितता के मामले उजागर हुए है। मंत्री और सचिव के बीच खींचतान मची हुई है। सचिव से जुड़े कतिपय लोगों ने मंत्री पर भारी भ्रष्टाचार और अवैध संपत्ति का सनसनीखेज आरोप समाचार पत्रों में प्रकाशित करवाया है। इस आरोप की शिकायत नई दिल्ली तक की गई है। वहीं सचिव नंदकुमार के खिलाफ लोक आयोग ने कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इन सबके अलावा पांच करोड़ 83 लाख रुपए की खरीदी में भारी हेराफेरी का मामला विधानसभा में भी उठ चुका है। नया मामला सूचना शक्ति योजना के तहत बालिकाओं को कंप्यूटर प्रशिक्षण के नाम पर हो रही गड़बड़ी का है। जिन स्कूलों में छुट्टियां हो गई है और जहां बिजली नहीं है वहां भी कंप्यूटर प्रशिक्षण के नाम पर निजी एजेंसी को ठेका दे दिया गया है। पिछले पांच साल में 60 करोड़ रुपए से भी यादा का भुगतान इस मद में किया गया है जबकि इस विषय में ढेरों शिकायतें की जा रही है। शिक्षा सचिव नंद कुमार सबको सस्पेंड करने का ऐलान करते है लेकिन कब करेगें भगवान ही जानें।
छत्तीसगढ़ में बढता भ्रष्टाचार सरकार के लिए चुनौती बन गया है। बड़े-बड़े मामलों के अलावा छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी रुपए की मांग कर्मी अधिकारियों द्वारा की जाती है। बिना घूस के डा. रमन सिंह भी अपना आय और निवासी प्रमाण पत्र नहीं बनवा पाएंगे। विधायक एवं मंत्रियों तक की सिफारिशें रद्दी की टोकरी में डाल दी जाती है। एसडीए श्री देवांगन और मंत्री श्री नेताम के प्रकरण ने प्रदेश में व्याप्त अफसरशाही की पोल खोल दी है। ऐसे समय में अगर मुख्यमंत्री ने अपनी घोषणा पर एक प्रतिशत भी अमल किया तो प्रदेश में हालात सुधर जाएंगे।

गुण्डरदेही पंचायत की मांग

गुण्डरदेही। गुण्डरदेही पंचायत के सरपंच कृषलाल साहू ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में कहा कि यहां समस्याएं तो है उसे दूर करने का प्रयास भी किया जा रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की कि पंचायत में नल जल योजना लागू किया जाए साथ ही हाईस्कूल भवन निर्माण का स्कूल संचालित किया जाना चाहिए। वार्डों की गलियों में कांक्रीटीकरण, स्कूलों में आहाता निर्माण व आंगनबाड़ी भवन निर्माण की गई है।

कोसमखुटा में समस्याओं का अंबार

फिंगेश्वर। ग्राम पंचायत कोसमखुटा जनपद पंचायत फिंगेश्वर की जनसंख्या 2000 है। ग्राम पंचायत में पेयजल एवं निस्तारी पानी की समस्या है। पेयजल की समस्या के समाधान के लिए नल जल योजना की मांग की गई है। इस समस्या को ग्राम सुराज अभियान में भी दिया गया है। सिंचाई की समस्या का हल अभी तक नहीं हो पाया है इसके लिए जीवतरा ड्रायवर्सन से पानी की सप्लाई के लिए नहर नाली का मरम्मत की आवश्यकता है ताकि सिंचाई की समस्या का हल हो सके। ग्राम में कीचड़ बहुत होता है बरसात में इसके लिए गली कांक्रीटीकरण की आवश्यकता है स्कूलों में बाउंड्रीवाल की आवश्यकता है। सामुदायिक भवन, रंगमंच की आवश्यकता है। ग्राम पंचायत कोसमखुंटा जिला रायपुर (छ.ग.) का सीमा पंचायत है इसलिए समस्या का अंबार है। यह जानकारी उपसरपंच जाकिर खान ने दी।

नि:शुल्क नेत्र शिविर झीट में

पाटन। ग्राम पंचायत झीट में श्री गणेश आई हास्पिटल द्वारा ग्राम झीट में नि:शुल्क नेत्र शिविर का आयोजन 6 मई से किया जा रहा है। यह जानकारी देते हुए सरपंच पवन ठाकुर ने बताया कि इस दौरान ग्रामवासियों के स्वास्थ्य परिक्षण भी किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि ऑपरेशन श्री गणेश आई हॉस्पिटल में शंकर नेत्रालय चेन्नई एवं एल.वी. प्रसाद हैदराबाद प्रशिक्षित नेत्र विशेषज्ञों द्वारा किया जाएगा। आपरेशन के पूर्व मोतियाबिंद जांच, खून, पेशाब इत्यादि पैथालाजी जांच, आपरेशन के पश्चात काला चश्मा एवं मरीजों के ठहरने की व्यवस्था नि:शुल्क रहेगी। इस योजना के तहत आपरेशन करवाने हेतु फोन से अग्रिम पंजीयन आवश्यक है और प्रतिदिन केवल 5 मरीजों का आपरेशन किया जाएगा। फोन नंबर 0771-4033303 है। इसी तरह आरएसबीवाय योजना के तहत स्मार्ट कार्ड धारकों हेतु नि:शुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन सुविधा भी रहेगी।

रविवार, 25 अप्रैल 2010

पता नहीं बेटा!


बेटा- नक्सलियों ने इस बार 74 जवानों को मौत के घाट उतार दिया।
पिताजी- हां बेटा, खबर तो यही है।
बेटा- क्या जवानों ने नक्सलियों को नहीं मारा।
पिताजी- पता नहीं बेटा।
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बेटा - प्रदेश सरकार के मंत्री रामविचार नेताम ने अधिकारी संतोष देवांगन को थप्पड़ मारा।
पिता जी- हां बेटा अधिकारी तो यही कह रहा है।
बेटा - क्या रमन सिंह अब राम विचार नेताम को हटा देंगे।
पिता जी- पता नहीं बेटा।

शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010

लेकिन डा रमन कोई नई मुसीबत लेने के पक्ष में नहीं...


विधायक रवि त्रिपाठी की असामयकि निधन के बाद रिक्त हुई भटगांव विधानसभा की सीट से चुनाव लड़ने आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने कमर कस लिया है लेकिन मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह नई मुसीबत लेने के पक्ष में नहीं है और वे श्री साय को रायसभा में भेजने की तैयारी में है। इसे लेकर भाजपा की अंदरूनी राजनीति में जबरदस्त उफान के संकेत हैं।
छत्तीसगढ क़े प्रथम मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी के हाथों पटखनी के बाद से राय की राजनीति में लौटने के लिए छटपटा रहे वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय इन दिनों बेहद सक्रिय हो गए हैं और भटगांव उपचुनाव लड़ने तगड़ी रणनीति बना रहे हैं। अपने समर्थकों को आगे करने के अलावा वे स्वयं वरिष्ठ भाजपाईयों से मुलाकात कर अपनी ईच्छा जता रहे हैं। बताया जाता है कि जोगी शासनकाल में नेता प्रतिपक्ष रहे नंदकुमार साय को मुख्यमंत्री का प्रबल दावेदार माना जाता है और ऐसे में उनके भटगांव उपचुनाव लड़ने की ईच्छा से पार्टी में जबरदस्त तूफान खड़ा कर दिया है और कहा जाता है कि उनका चुनाव लड़कर जीतना पहले ही आदिवासी एक्सप्रेस से जूझ रहे डा. रमन सिंह के लिए नई मुसीबतें ला सकती है। यही वजह है कि वे डा. रमन विरोधी भी सक्रिय हो गए हैं और वे श्री साय को भटगांव उपचुनाव के लिए तैयार करने लगे हैं।
दूसरी तरफ इस खबर ने मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह और उनके समर्थकों की नींद उड़ा दी है और वे सामान्य सीट से किसी आदिवासी को टिकट देने का अभी से विरोध कर रहे हैं और श्री साय को रायसभा में ही भेजने की कोशिश की जा रही है। इधर भाजपा सूत्रों का कहना है कि लगातार चुनाव जीतने की वजह से डा. रमन सिंह का कद बढ़ा है ऐसे में डा. सिंह ही टिकिट तय करेंगे और वे नहीं चाहेंगे कि श्री साय को टिकिट मिले। हालांकि यह बात कहने वाले यह भी कहते हैं कि श्री साय के नाम की अनदेखी आसान नहीं है। बहरहाल एक तरफ जहां श्री साय को चुनाव लड़ाने कुछ मंत्री भी सक्रिय हैं वही दूसरी तरफ उन्हें रोकने सामान्य सीट का रोढ़ा भी लगाया जा रहा है।

गुरुवार, 22 अप्रैल 2010

दो-ढाई साल में ही ढह गया महुदा का स्कूल

पाटन। छत्तीसगढ़ में इन दिनों लूट खसोट किस तरह मचा हुआ है इसका ताजा उदाहरण महुदा पंचायत के स्कूल का है जो दो-ढाई साल में ही स्कूल की दीवार ढह गई। इस मामले में पूर्व सरपंच उर्मिला जीवन साहू पर कार्रवाई की मांग गांव वालों ने की है।
दरअसल शासन में बैठे मंत्रियों और अफसरों के संरक्षण में जबरदस्त भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है। बताया जाता है कि महुदा पंचायत में सर्व शिक्षा अभियान के तहत 2008 में स्कूल निर्माण का काम शुरु किया गया और सरकार ने राशि भी स्वीकृत की लेकिन अभी तक स्कूल बना नहीं है और अधूरा निर्माण ढहना शुरु हो गया है। इस मामले में बताया जाता है कि स्कूल के लिए आई राशि खत्म हो गया है और अधूरे निर्माण में भी जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। दीवार गिरने की घटना के बाद से यहां बच्चों और उनके अभिभावकों में चिंता व्यप्त है। इसलिए प्रधान पाठक ने इस घटना की खबर विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी को लिखित में दी है।

निगम-मंडलों के गठन में देरी से नेता हलाकान

एक पद पर दस-दस दावेदार, सत्ता-संगठन दोनों परेशान
तपेश जैन
रायपुर। पद एक है और दावेदार दस तो संतुलन कैसे स्थापित हो? पद बंट गया तो कई मुंह फुल जाएंगे और कूल होने की कोई वजह बाकी रह पाएंगी। अभी तो कारण है सो कई मुद्दों पर नाराजगी के बाद भी नेताओं को कूल रहने की समझाईश दी जाती है और इसका पालन भी होता है। ये आंखों की शर्म का कम और सत्ता सुख का लालच ही यादा है कि सरकार की कमजोरियों और अफसरों की दादागिरी पर कतिपय नेता चुप्पी साधे हुए है। मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को भी ये मालूम है कि राजनीति के इस पैतंरे से ही वे निपकंटक राज कर सकते हैं। जो लोग आज उनके आगे पीछे रहे है पद नहीं मिलने पर पीठ पीछे गरियाने से भी नहीं चूकेंगे। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने अपनी दूसरी पारी में सवा साल बाद तक निगम मंडलों में कोई नियुक्ति नहीं की है। इसके चलते पार्टी के कई नेता हलाकान है कि आखिर इसमें विलंब क्यों किया जा रहा है।
यह बताना लाजमी होगा कि सन् 2008 दिसंबर में दूसरी बार मुख्यमंत्री चुने गए डा. रमन सिंह ने यह संकेत दिया था कि सन् 2009 मई में लोकसभा चुनाव के बाद निगम-मंडलों में नियुक्ति कर दी जाएगी। लेकिन राजनैतिक उठा पटक के चलते ऐसा ना हो सका। फिर यह चर्चा्र प्रकाश में आई कि नवम्बर 2009 में नगर निगम, पालिका चुनाव के बाद गठन हो जाएगा। इसके बाद पंचायत चुनाव 2010 जनवरी तक मामला टल गया। अब सभी इलेक्शन के बाद संगठन के पुर्नगठन ने मनोयन की सूची को रोक रखा है। इसी माह के अंत तक नए प्रदेशाध्यक्ष का नाम घोषित होने के बाद प्रदेश कार्यकारिणी का भी गठन होना है। अटकलें है कि यह मई माह तक खिंच सकता है। यानी निगम मंडलों के उम्मीदवारों को तब तक इंतजार करना पड़ सकता है।
राजनीति अटकलों, चर्चाओं और संभवनाओं से ही चलती है। सो किसकी नियुक्ति होगी और किसकी नहीं इस पर चर्चा करें तो विधानसभा चुनाव 2008 में जिन 17 विधायकों को पार्टी ने दुबारा टिकट नहीं दी उसमें से दो लोग बेहद सक्रिय है। पहला नाम है पूनम चंद्राकर का तो दूसरा विनोद खांडेकर का। श्री चंद्राकर महासमुंद जिले की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखते है और विधानसभा चुनाव में इस जिले में भाजपा का सुपड़ा साफ हो गया है। सो सत्ता संतुलन के लिहाज से इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व सरकार में होना ही चाहिए। लेकिन राजनीति तो राजनीति है इसलिए श्री चंद्राकर के विरोधी डा. विमल चोपड़ा फिर अडंगा लगा सकते है। दूसरी ओर श्री खांडेकर दलित बौध्दमार्गी है जिनकी बड़ी संख्या छत्तीसगढ़ में है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी कई लोग जुड़े है। संघ का दबाव श्री खांडेकर को कुर्सी तक पहुंचा सकता है। दोनों पूर्व विधायकों के अतिरिक्त पराजित नेता अजय चंद्राकर भी व्यवस्थापन चाहते है लेकिन उन्हें संगठन में महामंत्री बनाने की यादा संभावनाएं है। पूर्व निगम मंडलों के पदाधिकारियों की आस है कि उन्हें फिर से सत्ता कुंजी मिले। इसमें सुभाष राव और श्याम बैस को सफलता मिल सकती है। रायपुर शहर अध्यक्ष पद पर रतन डागा की नियुक्ति हुई तो आरडीए अध्यक्ष राजीव अग्रवाल बनेगें नहीं तो श्री डागा को उपाध्यक्ष बना सकते है। मंत्री पद के लिए ब्राम्हण वर्ग के बद्रीधर दीवान को हरी झंडी मिल सकती है। उन्हें लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग मिल सकता है तो विधानसभा उपाध्यक्ष पद कांग्रेस को समर्पित कर डा. रमन सिंह लोकतंत्र की स्वस्थ परपंरा पुन: कायम कर सकते है। बहरहाल क्या होगा, कब होगा यह कहा नहीं जा सकता क्योंकि राजनीति में सबकुछ अनिश्चित होता है। कब कौन बदल जाए कहा नहीं जा सकता, इसलिए पॉलिटिक्स को भाग्य का खेल माना जाता है।

बुधवार, 21 अप्रैल 2010

कुकदा की झांकी व मरोदा का जसगान प्रथम रहा

पाटन। ग्राम पंचायत झीट में छत्तीसगढ़ स्तरीय दो दिवसीय जस गायन एवं झांकी प्रतियोगिता धूमधाम से सम्पन्न हुआ। झांकी प्रतियोगिता का प्रथम पुरस्कार छत्तीसगढ़ जय झांकी मंडली कुकुदा और द्वितीय पुरस्कार हरिओम जय शीतला सेवा समिति मंडली भोथली को मिला। जबकि जस गान प्रतियोगिता का प्रथम पुरस्कार नव कलश भजन मंडली मरोदा और द्वितीय पुरस्कार जय मां शीतला सेवा मंडली कन्हेरा को मिला। 10 व 11 अप्रैल को दो दिवसीय इस प्रतियोगिता में आसपास के गांवों के हजारों लोगों की उपस्थिति में शानदार प्रस्तुति हुई। पुरस्कार वितरण जिला पंचायत सदस्य श्रीमती पंकत मिनाक्षी चंद्राकर के मुख्य आतिथ्य में हुआ जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता हेमलता चंद्राकर एवं विशिष्ट अतिथि सुरेश सिगौर तथा राजाराम यदु थे।

रविवार, 18 अप्रैल 2010

पता नहीं बेटा !

बेटा- नक्सलियों ने इस बार 74 जवानों को मौत के घाट उतार दिया।
पिताजी- हां बेटा, खबर तो यही है।
बेटा- क्या जवानों ने नक्सलियों को नहीं मारा।
पिताजी- पता नहीं बेटा।
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बेटा - प्रदेश सरकार के मंत्री रामविचार नेताम ने अधिकारी संतोष देवांगन को थप्पड़ मारा।
पिता जी- हां बेटा अधिकारी तो यही कह रहा है।
बेटा - क्या रमन सिंह अब राम विचार नेताम को हटा देंगे।
पिता जी- पता नहीं बेटा।

गुरुवार, 15 अप्रैल 2010

मंत्री का है साथ तो कौन डालेगा हाथ


पांच माह पहले हुए तबादले को रुकवाकर अपना रुतबा कायम कर चुके अभनपुर थाना के प्रभारी नारायण ओटी ने विस्फोट को फटाका बताकर नया कारनामा तो दिखाया ही अब धमकी भरे पत्र ने उसके होश उड़ा दिए है। अवैध शराब से लेकर सटोरियों के सरंक्षण के रुप में ख्याति अर्जित कर चुके ओटी को कृषि मंत्री चन्द्रशेखर साहू का अजीज बताया जाता है उन्हीं के इशारे पर ही तबादला रुकने की खबर है।
राजधानी से लगे अभनपुर में इन दिनों थानेदार नारायण ओटी के कारनामें की चर्चा अब राजधानी में भी गुंजने लगी है तो इसके पीछे कृषि मंत्री का हाथ बताया जा रहा है। कृषि मंत्री के संरक्षण ने नारायण ओटी को न केवल ताकतवर बना दिया है। बल्कि आम लोगों में भारी आक्रोश भी है। अभनपुर क्षेत्रों के ढाबों व कई गांवों में खुलेआम अवैध शराब के चलते यहां अपराधियों का डेरा बनता जा रहा है और पिछले दिनों पूर्व पार्षद पप्पू सिंह ठाकुर के घर हुए विस्फोट को थानेदार की नाकाबिलियत से जोड़कर देखा जा रहा है।
सात मार्च को अल सुबह करीब 4 बजे पप्पू सिंह ठाकुर के घर के दरवाजे पर विस्फोट हुआ और थानेदार ने इसे फटाखा फुटना बताकर रिपोर्ट तक नहीं लिखी जबकि सारे सबूत चिख-चिख कर कह रहे थे कि मामला गंभीर है। अभी पप्पू का परिवार इस विस्फोट के दहशत से उबर भी नहीं पाया था कि 6 अप्रैल को उन्हें धमकी भरा पत्र मिला जिसमें धमकी दी गई है। इस पर भी थानेदार ने रिपोर्ट लिखने की बजाय आवेदन मांगा।
बजरंग दल से जुड़े होने की वजह से पप्पू सिंह ने बजरंग दल के रायपुर वालों से संपर्क किया। पत्रकार वार्ता में उन्होंने साफ कहा कि कृषि मंत्री चन्द्रशेखर साहू के संरक्षण की वजह से थानेदार नारायण ओटी मनमानी कर रहा है और तबादला भी इसी दम पर उसने रुकवाया है।

बुधवार, 14 अप्रैल 2010

देवांगनों की दहाड़

नेताम को हटाना ही पड़ेगा
छत्तीसगढ़ के पंचायत मंत्री रामविचार नेताम की मुसिबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है और अब देवांगन समाज ने आर पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है। समाज के अध्यक्ष का कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह बेवजह समय खराब कर रहे हैं। उन्हें समाज को हटाना ही पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि पंचायत मंत्री रामविचार नेताम पर संतोष देवांगन नामक अधिकारी को थप्पड़ मारने का आरोप है और यह मामला धीरे-धीरे ही सही तूल पकड़ता जा रहा है। वैसे तो इस मामले में राय सरकार ने जांच अधिकारी नियुक्त कर दिए हैं लेकिन समाज एक सूत्रीय कार्रवाई चाहता है।
20 मार्च 2010 को यह घटना बिलासपुर के एसईसीए गेस्ट हाउस में घटित हुई। इस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह भी उसी शहर में थे। घटना के दो दिनों बाद 22 मार्च को प्रदेश देवांगन समाज की ओर से एक ज्ञापन मुख्यमंत्री रमन सिंह को विधानसभा परिसर पहुंच कर सौंपा गया। इस दौरान उन्होंने देवांगन समाज के पदाधिकारियों को यह आश्वासन दिया था कि जो भी उचित होगा देखेंगे। लेकिन अभी तक उक्त मंत्री श्री नेताम के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। प्रदेश देवांगन समाज के पदाधिकारी 26 मार्च 2010 को महामहिम रायपाल शेखर दत्त से मिले। उन्होंने भी इस घटना की जानकारी विस्तार से ली और यह आश्वासन दिया कि वे आवश्यक कार्रवाई के लिए शासन-प्रशासन को लिखेंगे। देवांगन समाज के पदाधिकारी उक्त घटना को लेकर लगातार यह मांग कर रहे हैं कि मंत्री श्री नेताम को तत्काल मंत्री पद से बर्खास्त किया जाए। लेकिन शासन की ओर से उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है। जबकि प्रदेश देवांगन समाज की ओर से यह चेतावनी दी गई थी कि 2 अप्रैल तक कार्रवाई नहीं होने पर 3 अप्रैल को सामाजिक बैठक कर आगे की रणनीति तय की जाएगी।
प्रदेश देवांगन समाज के अध्यक्ष रामगोपाल देवांगन एवं जिला देवांगन समाज के सचिव मेघनाथ देवांगन ने बताया कि 3 अप्रैल को प्रदेश देवांगन समाज के पदाधिकारियों की एक बैठक टिकरापारा रायपुर स्थित देवांगन समाज के भवन में रखी गई थी। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 12 अप्रैल 2010 को प्रदेश देवांगन समाज के नेतृत्व में छ.ग. के सभी जिले के देवांगन समाज के पदाधिकारी एक दिवसीय सांकेतिक रैली निकाल कर धरना प्रदर्शन करेंगे। इस आंदोलन के माध्यम से देवांगन समाज यह मांग करेगी कि ऐसे मंत्री जो अपने ओहदे एवं कानून का ज्ञान नहीं रख सकते उन्हें तत्काल बर्खास्त किया जाए। सांकेतिक आंदोलन के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई तो प्रदेश देवांगन समाज आगे क्रमबध्द आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा।
जांच अधिकारी पर आरोप
देवांगन समाज ने जांच अधिकारी सोनमणि वोरा की जांच से संतुष्ट नहीं है उनका कहना है कि श्री वोरा कभी श्री नेताम के अधिनस्थ रहे हैं ऐसे में उनकी जांच पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
नेताम पहले भी
हाथ उठा चुके हैं...
देवांगन समाज ने यह भी कहा कि पंचायत मंत्री श्री नेताम पहले भी शासकीय अधिकारियों व कर्मचारियों से मारपीट कर चुके हैं और गृहमंत्री बनने के बाद मामले का खात्मा किया गया

मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

अल्ट्राटेक का नया खेल

फूट डालो, राज करो
हिरमी स्थित अल्ट्राटेक सीमेंट संयंत्र के कारनामें से आसपास के लोग बेहद आक्रोशित हैं और सरकार ने गांव वालों की बजाय अल्ट्राटेक का ध्यान रखने से स्थिति विस्फोटक होते जा रही है। यदि वहीं गांव वालों को ठेका देकर गांव को आपस में बांटने की कोशिश से गांव में तनाव की स्थिति बन रही है।
बताया जाता है कि सरकार व प्रशासन में बैठे अफसरों की बेरुखी से गांव वाले बेहद नाराज है और वे शीघ्र ही बड़े आंदोलन का मन बना रहे हैं। हिरमी स्थित अल्ट्राटेक सीमेंट संयंत्र प्रबंधन द्वारा स्टेट बैंक से स्टाफ कालोनी तक किए जा रहे सड़क चौड़ीकरण से आम लोगों को परेशानी हो रही है। शासकीय हायर सेकेण्डरी स्कूल से करीब 30 मीटर दूर सड़क के दूसरे किनारे पर पावर प्लांट स्थित हैं। हिरमी व कुथरौद गांवों के लिए बनाए गए सीसी रोड के सोल्डिंग नहीं भरे जाने, स्टाफ कालोनी के बाहर सड़क के किनारे संयंत्र द्वारा डाले जा रहे कचरे के ढेर से उड़ने वाली धूल से हिरमी व कुथरौद के ग्रामीण आक्रोशित है। वही निस्तारी जमीन पर अतिक्रमण का आरोप भी लगा रहे हैं। हिरमी सरपंच प्यारेलाल ध्रुव व कुथरौद सरपंच चंद्रवली मोहन वर्मा, डा. एए फारुखी, कमलेश जायसवाल, केके साहू, संजय धुरंधर अन्य ग्रामीणों ने कहा कि प्रबंधन द्वारा सड़क चौड़ीकरण के नाम पर आधा किमी लंबा और 15 से 20 फीट चौड़ा ग्राम की निस्तारी भूमि पर अतिक्रमण किया गया है जो अनुचित है। कुथरौद सरपंच श्रीमती वर्मा ने 15 जुलाई 1997 को संयंत्र के अधिकारी और तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारियों के बीच हुए समझौते की प्रतिलिपि दिखाते हुए कहा कि गेट नंबर दो के पास स्थित निस्तारी भूमि के बदले वर्तमान में संयंत्र ने अतिक्रमित भूमि को निस्तारी के लिए छोड़ा है।
हिरमी के सरपंच श्री ध्रुव ने संयंत्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि ग्राम वासियों को लड़ाने के उद्देश्य से ही गांव के लोगों को ठेका दिया गया है। हायर सेकेण्डरी स्कूल के छात्र-छात्राओं व शिक्षकों ने कुछ माह पावर प्लांट के शोर-शराबे को पढ़ाई में बाधा बताया है। शिक्षकों ने बच्चे के ध्वनि प्रदूषण से मानसिक रोगी होने की आशंका जताई है। ग्रामीणों ने बताया कि संयंत्र द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और पानी जैसे बुनियादी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। डा. फारुखी ने संयंत्र की रेलवे क्रासिंग के संकरी ढलान को खतरनाक ढलान बताते हुए कहा कि इससे कई दुर्घटनाएं हो चुकी है। पूर्व में इसके खिलाफ सकलोर के पूर्व सरपंच के नेतृत्व में रेलवे क्रासिंग पर धरना प्रदर्शन किया गया लेकिन नतीजा सिफर रहा।