रविवार, 23 मई 2010

चोचलेबाजी से कैसे होगा जल संरक्षण

पानी की लूट पर सरकार की है छूट
मीटर कब लगेगा पानी का, टयूबवेल खनन पर लगे टैक्स
तपेश जैन
रायपुर। कहने को कहा जा सकता है कि देर आयद दुरूस्त आयद। मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को छह साल बाद याद आया कि जल संरक्षण के लिए अभियान चलाया जा सकता है। समाज के चिंतक और लोग बरसों से राग अलाप रहे है कि पानी का बचाव नहीं किया गया तो आने वाले समय में त्राहि-त्राहि मच जायेगी। कई मीडिया समूह मसलन दैनिक भास्कर, नवभारत जैसे संस्थान लगातार जन-जागरण कर रहे हैं। समाचार पत्रों में जल सरंक्षण के उपायों पर निरंतर ध्यान आकर्षित करवाया जा रहा है। अब सरकार की कुंभकर्णी नींद खुली है लेकिन इसके बाद भी हालात बदलेंगे उम्मीद नहीं है क्योंकि सरकार के मंत्री और अफसरों से ये मंगल कामना नहीं की जा सकती की वे तपती गर्मी में कुछ बूंद पसीने की बहा सकते हैं। सरकारी कार्यक्रमों का ढकोसला लोग जानते हैं। घंटेभर के कार्यक्रम के लिए लंबे समय तक इंतजार और फोटोलॉजी के बाद न तो अफसरों को फिक्र रहेगी न ही मंत्री इसकी पूछ परख करेगा कि क्या हुआ तालाब सफाई का?
सबको याद है बूढ़ातालाब और कंकाली तालाब सफाई अभियान का नतीजा। जोर-शोर और कई नारों के साथ शुरु हुए कार्यक्रम को जबर्दस्त प्रतिसाद मिला था और जनता की भागीदारी भी भारी थी लेकिन टंटपूजिए नेताओं की करतूतों ने किए कराए पर पानी फेर दिया। राजनीति में मन का मैल इतना बढ़ चुका है कि अच्छा अभियान भी प्रदूषित हो जाता है। सो मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के इस अभियान की उनके ही कतिपय मंत्री खिल्ली उड़ा रहे हैं कि काम ना बूता, लबरा करे झूठा। राय में जल संसाधन विभाग के मंत्री की सुस्ती का यह आलम है कि वे न तो कभी मंत्रालय में नजर आते हैं ना ही कार्यक्रमों में। पिछले छह सालों में इस विभाग का कामकाज सर्वाधिक पिछड़ा हुआ है। सिंचाई क्षमता तीस प्रतिशत तक सीमित हैं जो कांग्रेस के मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल में थी। सत्ता प्रतिशत कृषि क्षेत्र आज भी बारिश और भू-जल पर आश्रित है। मुफ्त बिजली कनेक्शन से बड़े किसानों ने जमीन के पानी का इतना दुरुपयोग कर दिया है कि वाटर लेबल रसातल पर पहुंच गया है।
पानी की लूट पर सरकार की छूट देखनी है तो रायपुर की होटलों, काम्पलेक्सों और बंगलों में देखी जा सकती है। मोटर के जरिए बड़ी-बड़ी टंकियों में लगातार पानी भरकर उसका जमकर दुरुपयोग हो रहा है। इस पर रोक लगाने के लिए पानी के मीटर को लगाना आवश्यक हो गया है ताकि पानी का दुरूपयोग करने वालों पर खर्च का भार पड़े। गरीबों के पानी पर अमीरों की लूट पर अंकुश लगाने निजी बोरवेल खनन पर भारी टैक्स वसूला जाना चाहिए। पानी के यादा खर्च करने वालों को यादा टैक्स देना ही चाहिए। जल संरक्षण के लिए सरकार को सबसे पहले बड़े काम्पलेक्स, होटलों, बंगलों और सरकारी दफ्तरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य किया जाना होगा। छत्तीस सौ वर्ग फीट से यादा के मकानों में वाटर हार्वेस्टिंग के साथ ही दस एकड़ से यादा खेती जमीन के मालिकों को आधा एकड़ में तालाब खुदाई के साथ ही बड़े उद्योगों को भी तालाब निर्माण की अनिवार्यता की जानी चाहिए। पर्यावरणविद लंबे समय से उपरोक्त सुझाव दे रहे हैं लेकिन सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगती रही है।
बहरहाल मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने विलंब से ही सही लेकिन जल सरंक्षण के लिए प्रयास तो शुरू किया। वे छत्तीसगढ़ के सेलीब्रिटी है और उनके कहने से ही बहुत फर्क पड़ता है। जरूरत इस बात की है कि वे गंभीरता के साथ निरंतर इस विषय पर कार्य करते रहे। तालाबों के संरक्षण के साथ ही नदी किनारे वृक्षारोपण आवश्यक है। नदियों को प्रदूषण को बचाने के लिए रीवर और सीवर का अलग करना होगा। मुख्यमंत्री चोचलेबाजी से हटकर इस अभियान को जारी रखते हैं तो उन्हें साधुवाद वरना उन्हें आलोचनाएं सहनी पड़ेंगी।

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