मंगलवार, 4 मई 2010

भ्रष्टाचार रूपी मलाई में डुबे हुए थे पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के हाथ

कवर्धा। यू तो भ्रष्टाचार बहुत हुए लेकिन पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के कार्यकाल में एक प्रकार से भ्रष्टाचार की बाढ़ सी आ गई थी। सरकार की हद एक योजना के क्रियान्वयन में इन महोदय ने जमकर भ्रष्टाचार किया इनके पहले के कार्यकाल में भ्रष्टाचार नहीं हुआ ऐसा बात नहीं है लेकिन इनके कार्यकाल में तो भ्रष्टाचार रुपी राक्षस अपना फन फैलाना शुरु कर दिया हर विभाग व हर योजना में क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार खुलकर हुआ है ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में करोड़ों की कमाई इनके द्वारा किया गया राजीव गांधी शिक्षा मिशन की योजना में इन साहब ने चांदी काटा शिक्षा कर्मी, पंचायत कर्मी भर्ती प्रक्रिया में इन साहब के द्वारा लाखों रुपए की राशि का फर्जीवाड़ा सभी के सामने है, पता नहीं इतना घोटाला होने के बाद जनता ने फिर से इनको चुनाव जीता कैसे दिया, इन साहब की सम्पत्ति की यदि जांच की जाए तो ये और इनके रिश्तेदारों और इनके सिपहसलाहकारों के पास करोड़ों रुपए की सम्पत्ति सामने आ सकती है? इन साहब को न जाने किसा वरदहस्त प्राप्त है जो ये इस प्रकार निष्फ्रिक होकर पूरे पांच वर्षों तक भ्रष्टाचार रुपी राक्षस को पैदा करके उन्हें जवानी की दहलीज तक पहुंचाया है इनके द्वारा कराए गए कार्यों की जांच की जाए तो पता चल जाएगा कि इन साहब को किनका वरदहस्त प्राप्त था। मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के करीब होने के कारण शायद इन्हाेंने इस प्रकार बेखौफ होकर हर फर्जीवाड़ा किया है और इन साहब को इस भ्रष्टाचार को करने में पूरा संगठन मदद कर रहा था, जिला पंचायत के अधिकारी भी इनके इस कार्य में पूर्ण सहयोग कर रहे थे और अपने तन मन के साथ इनके कार्यों को अंजाम दे रहे थे। जिला पंचायत के इन पूर्व अध्यक्ष के भ्रष्टाचार को ये भोली भाली जनता नहीं समझ पाई और पुन: इनको चुनाव जीता दिया, भोली भाली जनता को विश्वास में लेकर उनके साथ व्यापक रुप से विश्वाघात का नंगा खेल इन साहब के द्वारा खेला गया है। शायद प्रशासन में बैठे आला अधिकारी अंधे हो चुके है जो इन भ्रष्टाचारो की जांच के लिए अभी तक किसी भी प्रकार की कमेटी का गठन नहीं किया गया है या शायद किसी बड़े नेता के दबाव के चलते इन पर प्रशासन भी अपना शिकंजा कसने से डर रही है। मजेदार बात यह है कि पूर्व में जिला पंचायत में भाजपा के अध्यक्ष थे और अब वर्तमान में कांग्रेस के अध्यक्ष है कांग्रेस यदि दबाव डालकर इनके पूर्व के कार्यों की जांच कराए तो सारा मामला प्रकाश में आ सकता है लेकिन यदि जिला पंचायत के वर्तमान अध्यक्ष को नजराना पेश किया और उस नजराने को उन्होंने स्वीकार कर लिया तो पूरा मामला पूरा दब सकता है? क्योंकि ये तो कलयुग हो यहां कुछ भी हो सकता है। भगवान राम ने पहले ही कह दिया है कि कलयुग में कुछ भी संभव है। फलस्वरुप व्यापक भ्रष्टाचार की जड़ तो पंचायती राज ही है और इनके मेन रोल में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष है जो अभी भी अपना अध्यक्ष की ठाठ बाठ छोड़े नहीं है।

1 टिप्पणी:

  1. खुद्दार एवं देशभक्त लोगों का स्वागत है!
    सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले हर व्यक्ति का स्वागत और सम्मान करना प्रत्येक भारतीय नागरिक का नैतिक कर्त्तव्य है। इसलिये हम प्रत्येक सृजनात्कम कार्य करने वाले के प्रशंसक एवं समर्थक हैं, खोखले आदर्श कागजी या अन्तरजाल के घोडे दौडाने से न तो मंजिल मिलती हैं और न बदलाव लाया जा सकता है। बदलाव के लिये नाइंसाफी के खिलाफ संघर्ष ही एक मात्र रास्ता है।

    अतः समाज सेवा या जागरूकता या किसी भी क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को जानना बेहद जरूरी है कि इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम होता जा है। सरकार द्वारा जनता से टेक्स वूसला जाता है, देश का विकास एवं समाज का उत्थान करने के साथ-साथ जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों द्वारा इस देश को और देश के लोकतन्त्र को हर तरह से पंगु बना दिया है।

    भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, व्यवहार में लोक स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को भ्रष्टाचार के जरिये डकारना और जनता पर अत्याचार करना प्रशासन ने अपना कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं। ऐसे में, मैं प्रत्येक बुद्धिजीवी, संवेदनशील, सृजनशील, खुद्दार, देशभक्त और देश तथा अपने एवं भावी पीढियों के वर्तमान व भविष्य के प्रति संजीदा व्यक्ति से पूछना चाहता हूँ कि केवल दिखावटी बातें करके और अच्छी-अच्छी बातें लिखकर क्या हम हमारे मकसद में कामयाब हो सकते हैं? हमें समझना होगा कि आज देश में तानाशाही, जासूसी, नक्सलवाद, लूट, आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका एक बडा कारण है, भारतीय प्रशासनिक सेवा के भ्रष्ट अफसरों के हाथ देश की सत्ता का होना।

    शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-"भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान" (बास)- के सत्रह राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से मैं दूसरा सवाल आपके समक्ष यह भी प्रस्तुत कर रहा हूँ कि-सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! क्या हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवक से लोक स्वामी बन बैठे अफसरों) को यों हीं सहते रहेंगे?

    जो भी व्यक्ति इस संगठन से जुडना चाहे उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्त करने के लिये निम्न पते पर लिखें या फोन पर बात करें :
    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा, राष्ट्रीय अध्यक्ष
    भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
    राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
    7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
    फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
    E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in

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