रविवार, 9 मई 2010

अफसरों में बढ़ा भ्रष्टाचार, छत्तीसगढ़ हुआ शर्मसार

केन्द्रीय सचिव ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को भ्रष्टाचार रोकने पत्र लिखा
तपेश जैन

भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बाबूलाल अग्रवाल के आवास एवं रिश्तेदारों के ठिकानों पर करोड़ो रुपए की अवैध संपत्ति का खुलासा कर आयकर विभाग ने अफसरशाही की भ्रष्ट करतूतों को उजागर कर दिया है। हाल ही में मुंगेली जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जे.आर. भगत के आवास पर राय आर्थिक अपराध ब्यूरो के छापे में करोड़ों रुपए की अवैध संपत्ति पता चली है। छत्तीसगढ़ में कई अधिकारियों के खिलाफ जांच जारी है। घोटाले और भ्रष्टाचार के मामलों से पूरे देश में छत्तीसगढ़ की छवि लगातार खराब हो रही है। इस संदर्भ में केन्द्रीय मंत्रीमंडल सचिव के.एम. चन्द्रशेखर द्वारा राय के मुख्य सचिव पी. जॉय उम्मेन को डी.ओ. पत्र लिखा है जिसमें सिविल सवर्ेंट के चयन के मापदंडों का हवाला देते हुए उन्हें नागरिकों के प्रति जवाबदेह और पारदर्शिता से कार्य करने की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है। इस अर्धशासकीय पत्र में भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किए जाने के साथ ही इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के साथ ही विजिलेंस को मजबूत बनाने को कहा गया है। वरिष्ठ दूसरों के लिए आदर्श बन सके इसके लिए बेहतर कार्य निष्पादन के साथ ही अच्छी सरकार की ओर ध्यान दिलाया गया है।
केन्द्रीय मंत्रीमंडल सचिव के इस पत्र से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि राय के अफसरों के भ्रष्ट कारनामों की गूंज नई दिल्ली तक पहुंच गई है। करोड़ों रुपए की संपत्ति अधिकारियों के पास कैसे आई ये जांच का विषय है लेकिन आम नागरिकों में राशनकार्ड, बिजली कनेक्शन, जाति, निवास एवं आय प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए जो रिश्वत मजबूरी में देनी पड़ रही है उस पर नेता भी जुबान बंद किए हुए हैं।
अफसरों और नेताओं की जुगलबंदी से फैलते भ्रष्टाचार ने पूरे लोकतंत्र पर ही सवालिया निशान लगा दिया है। पार्षद चुनाव में 25 लाख रुपए तक खर्च करने वाले लोग चुने जाने के बाद राशन और मिट्टी तेल की कालाबाजारी में लिप्त नहीं होंगे तो कैसे भरपाई कर पायेंगे। जमीन के दलाल और अवैध शराब के कारोबारी राजनीति की आड़ में जो गुल खिला रहे हैं उससे पूरी व्यवस्था ही चरमरा गई है। ऐसे नेताओं के बीच अफसरों को धन लिप्सा से जनता बेहद हलाकान है। बहरहाल छत्तीसगढ़ अफसरों के लिए मुफीद जगह बन गया है जहां वे आसानी से भ्रष्ट करतूतों को अंजाम दे सकते हैं। केन्द्रीय मंत्रिमंडल सचिव का पत्र रद्दी की टोकरी में फेंक दिया गया है। ऐसे पत्रों की परवाह कौन करता है?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें