मंगलवार, 4 मई 2010

पूर्व सरपंच के द्वारा व्यापक भ्रष्टाचार कार्यवाही का पता नहीं

दुर्ग-कवर्धा डायरी
बेमेतरा। ग्राम पंचायत बांधी के पूर्व सरपंच बिहारीलाल मंडावी के खिलाफ व्यापक भ्रष्टाचार का मामला प्रकाश में आया है। इन्होंने जो भ्रष्टाचार किया है उसका एक छोटा सा नमूना प्रस्तुत है पूर्व में अपने कार्यकाल में अंतिम समय में तालाब में मछली पालन का जो ठेका दिया गया था उसे इनके द्वारा पांच वर्षों के लिए पंचराम ध्रुर्वे, दशरु साहू तथा लक्ष्मीकांत को तालाब में मछली पालन का ठेका बगैर किसी ग्रामवासी और पंच को पूछे बगैर दे दिया गया है। ग्राम के कोटवार का कहना है कि आज तक मैंने मत्स्य पालन संबंधित कागज में हस्ताक्षर नहीं किया है। किन्तु विभागीय अधिकारियों द्वारा ग्राम के कोटवार का हस्ताक्षर करा लिया गया है। ग्रामवासियों का कहना है कि इसमें विभागीय अधिकारी व तालाब ठेकेदारों की मिली भगत से सारा खेल खेल गया है। ग्राम सुराज में इन सभी चीजों की फाइल तैयार करके संबंधित लोगों की शिकायत की गई लेकिन सरकारी उदासीनता के चलते इन पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
धर्मनगरी में हो रहा है देह व्यापार
धर्मनगरी कवर्धा यहां मंदिरों की नगरी है वहां देह व्यापार का खुला कारोबार का होना चिंता का विषय है। कवर्धा के ही सतनामी पारा में देह व्यापार का एक बड़ा रैकेट होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। ग्राम धमकी व लाखाटोला दो ऐसे गांव है जहां देर व्यापार खुलेआम चल रहा है लेकिन अभी तक प्रशासनिक कार्यवाही नहीं हुई है तो छोटी-मोटी कार्यवाही करके प्रशासन अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर रहे है।

1 टिप्पणी:

  1. खुद्दार एवं देशभक्त लोगों का स्वागत है!
    सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले हर व्यक्ति का स्वागत और सम्मान करना प्रत्येक भारतीय नागरिक का नैतिक कर्त्तव्य है। इसलिये हम प्रत्येक सृजनात्कम कार्य करने वाले के प्रशंसक एवं समर्थक हैं, खोखले आदर्श कागजी या अन्तरजाल के घोडे दौडाने से न तो मंजिल मिलती हैं और न बदलाव लाया जा सकता है। बदलाव के लिये नाइंसाफी के खिलाफ संघर्ष ही एक मात्र रास्ता है।

    अतः समाज सेवा या जागरूकता या किसी भी क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को जानना बेहद जरूरी है कि इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम होता जा है। सरकार द्वारा जनता से टेक्स वूसला जाता है, देश का विकास एवं समाज का उत्थान करने के साथ-साथ जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों द्वारा इस देश को और देश के लोकतन्त्र को हर तरह से पंगु बना दिया है।

    भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, व्यवहार में लोक स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को भ्रष्टाचार के जरिये डकारना और जनता पर अत्याचार करना प्रशासन ने अपना कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं। ऐसे में, मैं प्रत्येक बुद्धिजीवी, संवेदनशील, सृजनशील, खुद्दार, देशभक्त और देश तथा अपने एवं भावी पीढियों के वर्तमान व भविष्य के प्रति संजीदा व्यक्ति से पूछना चाहता हूँ कि केवल दिखावटी बातें करके और अच्छी-अच्छी बातें लिखकर क्या हम हमारे मकसद में कामयाब हो सकते हैं? हमें समझना होगा कि आज देश में तानाशाही, जासूसी, नक्सलवाद, लूट, आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका एक बडा कारण है, भारतीय प्रशासनिक सेवा के भ्रष्ट अफसरों के हाथ देश की सत्ता का होना।

    शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-"भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान" (बास)- के सत्रह राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से मैं दूसरा सवाल आपके समक्ष यह भी प्रस्तुत कर रहा हूँ कि-सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! क्या हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवक से लोक स्वामी बन बैठे अफसरों) को यों हीं सहते रहेंगे?

    जो भी व्यक्ति इस संगठन से जुडना चाहे उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्त करने के लिये निम्न पते पर लिखें या फोन पर बात करें :
    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा, राष्ट्रीय अध्यक्ष
    भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
    राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
    7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
    फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
    E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in

    जवाब देंहटाएं