गुरुवार, 27 मई 2010

बैस का बयान, बीजेपी में बगावत

तपेश जैन
रायपुर। रायपुर लोकसभा क्षेत्र से छह बार जीतने वाले भारतीय जनता पार्टी के सांसद रमेश बैस सुलझे हुए राजनेता माने जाते हैं और उनसे यह उम्मीद की जाती है कि वे पार्टी के अनुशासन को समझते होगें लेकिन पिछले कुछ समय से वे लगातार अपने बयानों से यह प्रदर्शित कर रहे हैं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को वे अब बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं है इसके लिए उन्हें काडर और अनुशासित पार्टी के नियमों का उल्लघंन ही क्यों ना करना पड़े। राजनीति के जानकार जानते हैं कि बीजेपी में संगठन से असहमति विरोध और विरोध को बागवत समझा जाता है। सांसद बैस के बयान को भी बीजेपी में बगावत समझा जा रहा है। उनके हाल ही में पत्रकार वार्ता में कही गई बातें यह स्पष्ट कर देती है कि वे अब आर-पार की इच्छा रखते हैं।
गौरतलब है कि यह कोई पहला अवसर नहीं है जब श्री बैस ने सरकार के खिलाफ बयानबाजी की हो। गाहे-बगाहे वे मुख्यमंत्री को यह अहसास दिलाने का प्रयास कर चुके है कि वे छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ नेता है और वे ही मुख्यमंत्री पद के योग्य है। सीएम पद की आकांक्षा में उन्होंने हाल ही में प्रदेश संगठन अध्यक्ष पद की मांग भी की थी। जिसकी सुनवाई न तो प्रदेश संगठन ने की और ना ही केन्द्रीय स्तर पर विचार हुआ। मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने हर मौके पर चतुराई से उनके बयानों का जवाब देकर निरूत्तर ही किया है। श्री बैस के आरोपों का भी उन्होंने नई दिल्ली में उत्तर दिया कि सबकी सुनता हूं और कैसे उन्होंने कहा यह मिलकर पूछूंगा।
यहां याद दिलाना लाजमी होगा कि तीन साल पूर्व तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष शिवप्रताप सिंह ने भी इसी तरह का आरोप लगाया था कि सरकार के मंत्री विधायकों तक की नहीं सुनते है। तब मामला ये था कि श्री सिंह सरगुजा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष थे और अध्यक्ष मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह की अनुपस्थिति में आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता मंत्री रामविचार नेताम ने कर दी तो श्री सिंह इस बात को गांठ बांधकर बिफर पड़े थे? पार्टी फोरम की जगह शिवप्रताप सिंह ने मीडिया का सहारा लिया और मंत्रियों को सफेद हाथी तक कह दिया। बवाल तो मचना ही था क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष ने सार्वजनिक रूप से सरकार की साख पर प्रहार किया था। संगठन ने श्री सिंह की इस गुस्ताखी पर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था। श्री बैस ने फिर वहीं बात दुहराई है। लेकिन वे प्रदेश अध्यक्ष नहीं है। संगठन ने उनकी अध्यक्ष बनने की मांग का इरादा भांप लिया था सो इतने तरीके से उन्हें हाशिए पर ढकेल दिया गया कि वे फुंफकार भी नहीें सके।
श्री बैस राजनीति के माहिर खिलाड़ी समझे जाते हैं लेकिन वे गलतियां अजीत जोगी की तरह कर रहे हैं। श्री जोगी ने पिछड़े वर्ग का राग अलापा तो आदिवासी वर्ग उनसे दूर हो गया और कांग्रेस का गढ़ छत्तीसगढ़ पार्टी के हाथों से दूर हो गया। श्री बैस भी लगातार इस बात को उछार रहे हैें कि प्रदेश में आदिवासी से यादा पिछड़े वर्ग के लोग है और पिछड़े वर्ग के नेताओं को सत्ता में यादा हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। श्री बैस के इस राजनीति से आदिवासी नेता खासे नाराज हैं और उनके खिलाफ खड़े हो रहे है। मुख्यमंत्री के विरुध्द बयानबाजी के समर्थन में एक भी आदिवासी नेता यहां तक कि नंदकुमार साय भी श्री बैस के साथ नहीं है।
सत्ता संगठन और आदिवासी नेताओं के खिलाफ खड़े श्री बैस अपने ही जाल में फंस गए है। राजनीति के जानकार उनसे ये आशा नहीं रखते थे कि एक साथ वे सबके खिलाफ मोर्चा खोलकर खड़े हो जाएंगे। याद रहे कि संगठन के नेता ऐसे विरोधों को किस तरह दरकिनार कर नेता को हाशिए में डाल देते हैं खुद नेता को भी भनक नहीं लगती। श्री बैस प्रदेश कार्यकारिणी में कहां होगें ये तो भविष्य बतायेगा फिलहाल उनके बयानों को बासी कढ़ी में उबाल ही माना जा रहा है जो उनकी लोकप्रियता के गिरते ग्राफ को ही बताता है।

रविवार, 23 मई 2010

चोचलेबाजी से कैसे होगा जल संरक्षण

पानी की लूट पर सरकार की है छूट
मीटर कब लगेगा पानी का, टयूबवेल खनन पर लगे टैक्स
तपेश जैन
रायपुर। कहने को कहा जा सकता है कि देर आयद दुरूस्त आयद। मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को छह साल बाद याद आया कि जल संरक्षण के लिए अभियान चलाया जा सकता है। समाज के चिंतक और लोग बरसों से राग अलाप रहे है कि पानी का बचाव नहीं किया गया तो आने वाले समय में त्राहि-त्राहि मच जायेगी। कई मीडिया समूह मसलन दैनिक भास्कर, नवभारत जैसे संस्थान लगातार जन-जागरण कर रहे हैं। समाचार पत्रों में जल सरंक्षण के उपायों पर निरंतर ध्यान आकर्षित करवाया जा रहा है। अब सरकार की कुंभकर्णी नींद खुली है लेकिन इसके बाद भी हालात बदलेंगे उम्मीद नहीं है क्योंकि सरकार के मंत्री और अफसरों से ये मंगल कामना नहीं की जा सकती की वे तपती गर्मी में कुछ बूंद पसीने की बहा सकते हैं। सरकारी कार्यक्रमों का ढकोसला लोग जानते हैं। घंटेभर के कार्यक्रम के लिए लंबे समय तक इंतजार और फोटोलॉजी के बाद न तो अफसरों को फिक्र रहेगी न ही मंत्री इसकी पूछ परख करेगा कि क्या हुआ तालाब सफाई का?
सबको याद है बूढ़ातालाब और कंकाली तालाब सफाई अभियान का नतीजा। जोर-शोर और कई नारों के साथ शुरु हुए कार्यक्रम को जबर्दस्त प्रतिसाद मिला था और जनता की भागीदारी भी भारी थी लेकिन टंटपूजिए नेताओं की करतूतों ने किए कराए पर पानी फेर दिया। राजनीति में मन का मैल इतना बढ़ चुका है कि अच्छा अभियान भी प्रदूषित हो जाता है। सो मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के इस अभियान की उनके ही कतिपय मंत्री खिल्ली उड़ा रहे हैं कि काम ना बूता, लबरा करे झूठा। राय में जल संसाधन विभाग के मंत्री की सुस्ती का यह आलम है कि वे न तो कभी मंत्रालय में नजर आते हैं ना ही कार्यक्रमों में। पिछले छह सालों में इस विभाग का कामकाज सर्वाधिक पिछड़ा हुआ है। सिंचाई क्षमता तीस प्रतिशत तक सीमित हैं जो कांग्रेस के मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल में थी। सत्ता प्रतिशत कृषि क्षेत्र आज भी बारिश और भू-जल पर आश्रित है। मुफ्त बिजली कनेक्शन से बड़े किसानों ने जमीन के पानी का इतना दुरुपयोग कर दिया है कि वाटर लेबल रसातल पर पहुंच गया है।
पानी की लूट पर सरकार की छूट देखनी है तो रायपुर की होटलों, काम्पलेक्सों और बंगलों में देखी जा सकती है। मोटर के जरिए बड़ी-बड़ी टंकियों में लगातार पानी भरकर उसका जमकर दुरुपयोग हो रहा है। इस पर रोक लगाने के लिए पानी के मीटर को लगाना आवश्यक हो गया है ताकि पानी का दुरूपयोग करने वालों पर खर्च का भार पड़े। गरीबों के पानी पर अमीरों की लूट पर अंकुश लगाने निजी बोरवेल खनन पर भारी टैक्स वसूला जाना चाहिए। पानी के यादा खर्च करने वालों को यादा टैक्स देना ही चाहिए। जल संरक्षण के लिए सरकार को सबसे पहले बड़े काम्पलेक्स, होटलों, बंगलों और सरकारी दफ्तरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य किया जाना होगा। छत्तीस सौ वर्ग फीट से यादा के मकानों में वाटर हार्वेस्टिंग के साथ ही दस एकड़ से यादा खेती जमीन के मालिकों को आधा एकड़ में तालाब खुदाई के साथ ही बड़े उद्योगों को भी तालाब निर्माण की अनिवार्यता की जानी चाहिए। पर्यावरणविद लंबे समय से उपरोक्त सुझाव दे रहे हैं लेकिन सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगती रही है।
बहरहाल मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने विलंब से ही सही लेकिन जल सरंक्षण के लिए प्रयास तो शुरू किया। वे छत्तीसगढ़ के सेलीब्रिटी है और उनके कहने से ही बहुत फर्क पड़ता है। जरूरत इस बात की है कि वे गंभीरता के साथ निरंतर इस विषय पर कार्य करते रहे। तालाबों के संरक्षण के साथ ही नदी किनारे वृक्षारोपण आवश्यक है। नदियों को प्रदूषण को बचाने के लिए रीवर और सीवर का अलग करना होगा। मुख्यमंत्री चोचलेबाजी से हटकर इस अभियान को जारी रखते हैं तो उन्हें साधुवाद वरना उन्हें आलोचनाएं सहनी पड़ेंगी।

रविवार, 9 मई 2010

अफसरों में बढ़ा भ्रष्टाचार, छत्तीसगढ़ हुआ शर्मसार

केन्द्रीय सचिव ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को भ्रष्टाचार रोकने पत्र लिखा
तपेश जैन

भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बाबूलाल अग्रवाल के आवास एवं रिश्तेदारों के ठिकानों पर करोड़ो रुपए की अवैध संपत्ति का खुलासा कर आयकर विभाग ने अफसरशाही की भ्रष्ट करतूतों को उजागर कर दिया है। हाल ही में मुंगेली जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जे.आर. भगत के आवास पर राय आर्थिक अपराध ब्यूरो के छापे में करोड़ों रुपए की अवैध संपत्ति पता चली है। छत्तीसगढ़ में कई अधिकारियों के खिलाफ जांच जारी है। घोटाले और भ्रष्टाचार के मामलों से पूरे देश में छत्तीसगढ़ की छवि लगातार खराब हो रही है। इस संदर्भ में केन्द्रीय मंत्रीमंडल सचिव के.एम. चन्द्रशेखर द्वारा राय के मुख्य सचिव पी. जॉय उम्मेन को डी.ओ. पत्र लिखा है जिसमें सिविल सवर्ेंट के चयन के मापदंडों का हवाला देते हुए उन्हें नागरिकों के प्रति जवाबदेह और पारदर्शिता से कार्य करने की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है। इस अर्धशासकीय पत्र में भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किए जाने के साथ ही इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के साथ ही विजिलेंस को मजबूत बनाने को कहा गया है। वरिष्ठ दूसरों के लिए आदर्श बन सके इसके लिए बेहतर कार्य निष्पादन के साथ ही अच्छी सरकार की ओर ध्यान दिलाया गया है।
केन्द्रीय मंत्रीमंडल सचिव के इस पत्र से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि राय के अफसरों के भ्रष्ट कारनामों की गूंज नई दिल्ली तक पहुंच गई है। करोड़ों रुपए की संपत्ति अधिकारियों के पास कैसे आई ये जांच का विषय है लेकिन आम नागरिकों में राशनकार्ड, बिजली कनेक्शन, जाति, निवास एवं आय प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए जो रिश्वत मजबूरी में देनी पड़ रही है उस पर नेता भी जुबान बंद किए हुए हैं।
अफसरों और नेताओं की जुगलबंदी से फैलते भ्रष्टाचार ने पूरे लोकतंत्र पर ही सवालिया निशान लगा दिया है। पार्षद चुनाव में 25 लाख रुपए तक खर्च करने वाले लोग चुने जाने के बाद राशन और मिट्टी तेल की कालाबाजारी में लिप्त नहीं होंगे तो कैसे भरपाई कर पायेंगे। जमीन के दलाल और अवैध शराब के कारोबारी राजनीति की आड़ में जो गुल खिला रहे हैं उससे पूरी व्यवस्था ही चरमरा गई है। ऐसे नेताओं के बीच अफसरों को धन लिप्सा से जनता बेहद हलाकान है। बहरहाल छत्तीसगढ़ अफसरों के लिए मुफीद जगह बन गया है जहां वे आसानी से भ्रष्ट करतूतों को अंजाम दे सकते हैं। केन्द्रीय मंत्रिमंडल सचिव का पत्र रद्दी की टोकरी में फेंक दिया गया है। ऐसे पत्रों की परवाह कौन करता है?

शनिवार, 8 मई 2010

पता नहीं बेटा!


बेटा- दिग्विजय सिंह और डॉ. रमन सिंह में युध्द होने लगा है।
पिताजी- हां बेटा, अभी यह युध्द केवल लेखनी में चल रही है।
बेटा- इस लड़ाई से क्या आम लोगों का भला होगा?
पिता- पता नहीं बेटा!
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बेटा- छत्तीसगढ़ में इन दिनो नेताओं के जन्मदिन जोर-शोर से मनाने का चलन बढ़ता जा रहा है।
पिताजी- हां बेटा अखबारों में भी खूब विज्ञापन छप रहे हैं।
बेटा- यह कुर्सी की ताकत का असर है या भ्रष्ट लोगों का जमावाड़ा है?
पिताजी- पता नहीं बेटा!

अवैध शराब से डुण्डेरावासी त्रस्त

डोंगरगढ। समीपस्थ ग्राम टुण्डेरा में अवैध शराब बिक्री से गांव की शांति भंग हो रही है। अवैध शराब बेचने वालों द्वारा खुलेआम गुण्डागर्दी की जा रही है और पुलिस भी शिकायत पर कार्रवाई नहीं करती जिससे कभी भी गंभीर घटना हो सकती है।

बजाज डिस्कवर माइलेज कान्टेस्ट सम्पन्न

नवापारा-राजिम। विगत दिनों ए.जी. आटो केयर द्वारा पर्यावरण अनुकूल वाहन प्रतियोगिता के अंतर्गत बजाज डिस्कवर माइलेज कान्टेस्ट का आयोजन किया गया। जिसमें नगर एवं आसपास के अंचल के लोगों ने काफी उत्साह से भाग लिया। जिसमें लगभग पचपन प्रतियोगियों ने नवापारा से हसदा तक बजाज डिस्कवर का चालन किया। जिसमें बेस्ट माइलेज एवं पर्यावरण अनुकूल वाहन चालकों में क्रमश: प्रथम नवापार के ढालचंद साहू का एवरेज 119 कि.मी. पीआईएल का एवं द्वितीय नरेन्द्र साहू चिपरीडीह का एवरेज 114 कि.मी. पीआईएल तृतीय कैलाश टाण्डे कौंदकेरा का एवरेज 111 कि.मी. रहा। इसके साथ ही प्रदूषण मुक्त नगर को हमारा के संदेश के साथ सभी बजाज वाहनों नि:शुल्क जांच एवं सलाह दी गई जिससे नगर के लोगों मे उत्साह व वातावरण देखा गया।

ग्राम बोरसी की समस्या

फिंगेश्वर। ग्राम बोरसी के सरपंच ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में बताया कि गांव में वैसे तो पेयजल की समस्या है। वहीं गलियों का कांक्रीटीकरण और यहां के पढ़े लिखे युवकों को रोजगार उपलब्ध कराने की मांग मंत्री से की गई है।

धमनी पंचायत की मांग

फिंगेश्वर। धमनी ग्राम पंचायत की सरपंच चन्द्रकला गोयल ने राय शासन से ग्राम पंचायत के विकास की मांग की है। सरपंच ने कहा कि कांक्रीटीकरण, तालाबों का पचरीकरण, पुलिया निर्माण, मुक्तिधाम, डामरीकरण व ग्राम पंचायत भवन की मांग ग्राम सुराज से की गई है।

बारुला पंचायत की मांग

फिंगेश्वर। ग्राम पंचायत की बैठक के दौरान पंचायत प्रतिनिधियों एवं ग्राम के प्रमुखों ने मूलभूत समस्याओं से अवगत कराया तथा प्रेस के माध्यम से ध्यानाकर्षण हेतु दिया जा रहा है। क्योंकि यह पंचायत जिला पंचायत रायपुर अंतिम छोर के साथ वनांचल से घिरा हुआ है जिसके यहां कई तरह की समस्याओं का अंबारहै तथा समाधान हेतु प्रस्तुत है निम्न समस्या है। गोठानपारा में विद्युत पोल में तीन तार आर ट्रांसफार्मर की समस्या। ग्राम पंचायत भवन का निर्माण एवं सोसायटी भवन की समस्या। कांजी हाउस भवन का समस्या। पेयजल हेतु नल जल योजना हेतु पानी टंकी। स्कूल आहता निर्माण एवं उपस्वास्थ्य केन्द्र आहता निर्माण जरूरी है।

बेलर की समस्या

फिंगेश्वर। 29 अप्रैल को बुलंद छत्तीसगढ़ के द्वारा ग्राम पंचायत की बैठक के दौरान पंचायत प्रति निधियों एवं ग्राम के प्रमुखों मूलभूत समस्या से अवगत कराया गया तथा इस प्रेस के माध्यम से ध्यानाकर्षण हेतु दिया जा रहा है। क्योंकि यहां पंचायत जिला रायपुर का अंतिम छोर के साथ वनांचल से घिरा हुआ है। जिसके चलते यहां कई तरह की समस्याओं का अंबार है तथा समस्याओं का समाधान हेतु प्रस्तुत समस्या है। 1. हायर सेकेण्डरी स्कूल का निर्माण। 2. ग्राम पंचायत भवन का निर्माण, 3. हाईस्कूल का अहाता निर्माण, 4. पेयजल का समस्या, 5. उपस्वस्थ केन्द्र भवन को जो लो.नि.वि. बनवाया है। वह गुणवत्ता में कमी के कारणरत रहा है।

मंगलवार, 4 मई 2010

शिक्षा मंत्री के आदेश की धज्जियाँ

शासकीय हाईस्कूल फुण्डहर वर्तमान प्राचार्य के चलते अव्यवस्थाओं एवं भर्राशाही की दल-दल में फंस कर रह गया है। स्कूल शिक्षा मंत्री के स्पष्ट आदेश के बाद भी यहां के कर्मचारी एवं शिक्षकों को वेतन कभी भी समय में नहीं मिल पा रहा है। माह की प्रत्येक 20-25 तारीख तक वेतन मिलना इस विद्यालय की पहचान बन गया है। प्राचार्य पर शिक्षा मंत्री की इस घोषणा का कोई असर नहीं पड़ा, यहां आज भी वेतन समय से न मिलने का संकट कर्मचारी झेल रहे हैं। इस प्रकार मंत्री एवं उच्च कार्यालयों के आदेशों का पालन न करना प्राचार्य टी.आर. वर्मा की खूबी बन गया है।
ज्ञात हो कि शासकीय हाईस्कूल फुण्डहर में पूरे साल दो शिक्षकों को कार्यालय में बिठाकर वेतन भुगतान किया गया है। इनमें एक व्याख्याता एवं एक शिक्षक को मात्र दो-दो काल पीरियड देकर उन्हें शिक्षाकीय कार्य से पृथक रखा गया है। वही कुछ शिक्षक, व्याख्याताओं को चार-चार पीरियड लगातार देकर अध्यापन कार्य कराया जा रहा है। इस प्रकार प्राचार्य की भेदभाव पूर्णनीति स्पष्ट प्रतीत होती है। शाला में खुलेआम नियमों की धाियां उड़ाई जा रही है। हाईस्कूल में पदस्थ प्राचार्य टी.आर. वर्मा ने एक व्याख्याता का वेतन छुट्टी स्वीकृत हो जाने के बाद भी भुगतान नहीं किया है। सूत्रों से पता चला है कि अशोक पाण्डेय व्याख्याता का माह अगस्त से लेकर जनवरी तक पांच माह का वेतन आहरित नहीं किया गया है। चार-पांच माह का वेतन न मिलने से यह व्याख्याता आर्थिक तंगी से जूझ रहे है। पता चला है कि यहां कार्यरत कुछ अन्य शिक्षक-व्याख्याता के कुछ और भुगतनों को रोककर रखा गया है। प्राचार्य से बार-बार पत्र देकर निवेदन करने के बाद भी वेतन जैसे भुगतनों को रोककर रखा गया है। प्राचार्य का यह कृत्य अपने मातहतों को प्रताड़ित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर अपने फायदे के लिए विद्यालय में वर्षों से जमा राशि को उक्त प्राचार्य ने खाली कर दिया है। इस प्रकार उन्होंने कमीशनखोरी का धंधा चलाकर रखा है।
सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि इस विद्यालय में पढ रहे छात्र-छात्राओं से हजारों रुपए शुल्क के रुप में वसूले गए परन्तु आज तक छात्र-छात्राओं से ली गई राशि की रसीदें उन्हें प्रदान नहीं की गई है। इससे एक बड़े आर्थिक गोल-माल की आशंका से मना नहीं किया जा सकता है। विद्यालय में कितने विद्यार्थी पढ़ रहे है तथा कितने विद्यार्थियों से किस हिसाब से राशि वसूल की गई है इसका विधिवत लेखा जोखा नहीं रखा जा रहा है। आशंका तो यहां तक व्यक्त की जा रही है कि छात्रों से अधिक राशि वसूलकर विद्यालय के खातों में उतनी राशि जमा नहीं की जाती है। यह सब हेरा-फेरी एवं आर्थिक अनियमितता का जीता जागता उदाहरण है।

पूर्व सरपंच के द्वारा व्यापक भ्रष्टाचार कार्यवाही का पता नहीं

दुर्ग-कवर्धा डायरी
बेमेतरा। ग्राम पंचायत बांधी के पूर्व सरपंच बिहारीलाल मंडावी के खिलाफ व्यापक भ्रष्टाचार का मामला प्रकाश में आया है। इन्होंने जो भ्रष्टाचार किया है उसका एक छोटा सा नमूना प्रस्तुत है पूर्व में अपने कार्यकाल में अंतिम समय में तालाब में मछली पालन का जो ठेका दिया गया था उसे इनके द्वारा पांच वर्षों के लिए पंचराम ध्रुर्वे, दशरु साहू तथा लक्ष्मीकांत को तालाब में मछली पालन का ठेका बगैर किसी ग्रामवासी और पंच को पूछे बगैर दे दिया गया है। ग्राम के कोटवार का कहना है कि आज तक मैंने मत्स्य पालन संबंधित कागज में हस्ताक्षर नहीं किया है। किन्तु विभागीय अधिकारियों द्वारा ग्राम के कोटवार का हस्ताक्षर करा लिया गया है। ग्रामवासियों का कहना है कि इसमें विभागीय अधिकारी व तालाब ठेकेदारों की मिली भगत से सारा खेल खेल गया है। ग्राम सुराज में इन सभी चीजों की फाइल तैयार करके संबंधित लोगों की शिकायत की गई लेकिन सरकारी उदासीनता के चलते इन पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
धर्मनगरी में हो रहा है देह व्यापार
धर्मनगरी कवर्धा यहां मंदिरों की नगरी है वहां देह व्यापार का खुला कारोबार का होना चिंता का विषय है। कवर्धा के ही सतनामी पारा में देह व्यापार का एक बड़ा रैकेट होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। ग्राम धमकी व लाखाटोला दो ऐसे गांव है जहां देर व्यापार खुलेआम चल रहा है लेकिन अभी तक प्रशासनिक कार्यवाही नहीं हुई है तो छोटी-मोटी कार्यवाही करके प्रशासन अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर रहे है।

भ्रष्टाचार रूपी मलाई में डुबे हुए थे पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के हाथ

कवर्धा। यू तो भ्रष्टाचार बहुत हुए लेकिन पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के कार्यकाल में एक प्रकार से भ्रष्टाचार की बाढ़ सी आ गई थी। सरकार की हद एक योजना के क्रियान्वयन में इन महोदय ने जमकर भ्रष्टाचार किया इनके पहले के कार्यकाल में भ्रष्टाचार नहीं हुआ ऐसा बात नहीं है लेकिन इनके कार्यकाल में तो भ्रष्टाचार रुपी राक्षस अपना फन फैलाना शुरु कर दिया हर विभाग व हर योजना में क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार खुलकर हुआ है ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में करोड़ों की कमाई इनके द्वारा किया गया राजीव गांधी शिक्षा मिशन की योजना में इन साहब ने चांदी काटा शिक्षा कर्मी, पंचायत कर्मी भर्ती प्रक्रिया में इन साहब के द्वारा लाखों रुपए की राशि का फर्जीवाड़ा सभी के सामने है, पता नहीं इतना घोटाला होने के बाद जनता ने फिर से इनको चुनाव जीता कैसे दिया, इन साहब की सम्पत्ति की यदि जांच की जाए तो ये और इनके रिश्तेदारों और इनके सिपहसलाहकारों के पास करोड़ों रुपए की सम्पत्ति सामने आ सकती है? इन साहब को न जाने किसा वरदहस्त प्राप्त है जो ये इस प्रकार निष्फ्रिक होकर पूरे पांच वर्षों तक भ्रष्टाचार रुपी राक्षस को पैदा करके उन्हें जवानी की दहलीज तक पहुंचाया है इनके द्वारा कराए गए कार्यों की जांच की जाए तो पता चल जाएगा कि इन साहब को किनका वरदहस्त प्राप्त था। मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के करीब होने के कारण शायद इन्हाेंने इस प्रकार बेखौफ होकर हर फर्जीवाड़ा किया है और इन साहब को इस भ्रष्टाचार को करने में पूरा संगठन मदद कर रहा था, जिला पंचायत के अधिकारी भी इनके इस कार्य में पूर्ण सहयोग कर रहे थे और अपने तन मन के साथ इनके कार्यों को अंजाम दे रहे थे। जिला पंचायत के इन पूर्व अध्यक्ष के भ्रष्टाचार को ये भोली भाली जनता नहीं समझ पाई और पुन: इनको चुनाव जीता दिया, भोली भाली जनता को विश्वास में लेकर उनके साथ व्यापक रुप से विश्वाघात का नंगा खेल इन साहब के द्वारा खेला गया है। शायद प्रशासन में बैठे आला अधिकारी अंधे हो चुके है जो इन भ्रष्टाचारो की जांच के लिए अभी तक किसी भी प्रकार की कमेटी का गठन नहीं किया गया है या शायद किसी बड़े नेता के दबाव के चलते इन पर प्रशासन भी अपना शिकंजा कसने से डर रही है। मजेदार बात यह है कि पूर्व में जिला पंचायत में भाजपा के अध्यक्ष थे और अब वर्तमान में कांग्रेस के अध्यक्ष है कांग्रेस यदि दबाव डालकर इनके पूर्व के कार्यों की जांच कराए तो सारा मामला प्रकाश में आ सकता है लेकिन यदि जिला पंचायत के वर्तमान अध्यक्ष को नजराना पेश किया और उस नजराने को उन्होंने स्वीकार कर लिया तो पूरा मामला पूरा दब सकता है? क्योंकि ये तो कलयुग हो यहां कुछ भी हो सकता है। भगवान राम ने पहले ही कह दिया है कि कलयुग में कुछ भी संभव है। फलस्वरुप व्यापक भ्रष्टाचार की जड़ तो पंचायती राज ही है और इनके मेन रोल में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष है जो अभी भी अपना अध्यक्ष की ठाठ बाठ छोड़े नहीं है।